Last Updated: Monday, January 7, 2013, 14:47

नई दिल्ली : राजधानी में 16 दिसंबर की रात चलती बस में सामूहिक बलात्कार और हत्या के मामले में आज आरोपियों की पैरवी के लिए आए वकील और अन्य वकीलों के बीच तीखी नोकझोंक हुई । उधर, खचाखच भरे अदालत कक्ष में आरोपियों को पेश नहीं किया जा सका ।
आरोपियों का बचाव नहीं करने के वकीलों के विभिन्न संगठनों के संकल्प के बीच यह पहली बार है जब कोई वकील पांच आरोपियों की पैरवी के लिए आया।
अधिवक्ता मोहन लाल शर्मा ने अदालत में पेश होकर मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट नम्रता अग्रवाल से कहा कि उन्हें कुछ आरोपियों के रिश्तेदारों की ओर से उनकी पैरवी के लिए फोन आया था ।
उन्होंने कहा कि वह तिहाड़ जेल नहीं जा पाने के कारण वकालतनामे पर आरोपियों के हस्ताक्षर नहीं ले पाए । शर्मा ने मजिस्ट्रेट से अदालत में आरोपियों के हस्ताक्षर लेने की अनुमति देने का आग्रह किया ।
मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट ने हालांकि, उन्हें इस बात की अनुमति नहीं दी और कहा कि वह इस काम के लिए तिहाड़ जेल जाएं ।
अदालत द्वारा शर्मा का आग्रह खारिज किए जाने के साथ ही दो अन्य वकीलों ने मुकदमे में मदद के लिए अदालत मित्र के रूप में अपनी सेवाएं देने का आग्रह किया ।
इस दौरान मीडिया कर्मियों, वकीलों और पुलिसकर्मियों से खचाखच भरे अदालत कक्ष में जगह की कमी की वजह से पांच आरोपियों राम सिंह, मुकेश, विनय शर्मा, पवन गुप्ता और अक्षय ठाकुर को पेश नहीं किया जा सका । (एजेंसी)
First Published: Monday, January 7, 2013, 14:47