Last Updated: Wednesday, December 26, 2012, 19:52
नई दिल्ली : न्यायमूर्ति वर्मा समिति ने आज अपनी पहली बैठक की। दिल्ली गैंगरेप के बाद बलात्कारियों को सजा-ए-मौत देने की मांग के परिप्रेक्ष्य में इस समिति का गठन किया गया है। समिति बलात्कारियों को और कड़ी सजा देने के प्रावधान बनाने के उद्देश्य से कानून में बदलाव को लेकर सुझाव देगी।
गृह मंत्रालय के एक अधिकारी ने बताया कि समिति निर्धारित समयसीमा के भीतर काम पूरा करना चाहती है। इसने जनता से अपील की है कि जो लोग सुझाव देना चाहते हैं, पांच जनवरी तक ऐसा कर सकते हैं। सुझाव देने वाले जो लोग अपनी पहचान गोपनीय रखना चाहते हैं, उन्हें इस बारे में स्पष्ट कहना चाहिए। समिति भारत और विदेश में न्यायपालिका के प्रमुखों, मीडिया के सदस्यों, लोकसेवकों और शिक्षा समुदाय एवं मानवाधिकार संगठनों से सुझाव मांग रही है।
अधिकारी के मुताबिक 26 दिसंबर 2012 की स्थिति के अनुसार समिति को सुझावों के 6100 ई-मेल मिल चुके हैं। समिति के सदस्यों ने भारतीय बार काउंसिल सहित राज्यों की बार काउंसिलों, प्रख्यात लेखकों, महिला विकास अध्ययन में संलग्न विशेषज्ञों से भी सुझाव आमंत्रित किये हैं। समिति का ई-मेल जस्टिस डॉट वर्मा ऐट दि रेट एनआईसी डॉट इन है जबकि सुझाव 011-23092675 पर फैक्स भी किए जा सकते हैं।
उच्चतम न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश रह चुके न्यायमूर्ति जेएस वर्मा की अध्यक्षता वाली इस समिति में हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय की पूर्व मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति लीला सेठ और भारत के पूर्व सालिसिटर जनरल गोपाल सुब्रमण्यम बतौर सदस्य हैं। समिति का गठन आपराधिक कानून में हरसंभव संशोधन पर विचार करने के लिए किया गया है ताकि महिलाओं के साथ यौन अपराध करने वालों के खिलाफ तेजी से मुकदमा चले और उन्हें दंड मिल सके। (एजेंसी)
First Published: Wednesday, December 26, 2012, 19:32