चिंतन शिविर में दिखी चुनावों की चिंता, सोनिया बोलीं-एकजुट हों पार्टीजन

चिंतन शिविर में दिखी चुनावों की चिंता, सोनिया बोलीं-एकजुट हों पार्टीजन

चिंतन शिविर में दिखी चुनावों की चिंता, सोनिया बोलीं-एकजुट हों पार्टीजनजयपुर : लोकसभा चुनाव को अब जबकि लगभग सवा साल बाकी हैं, कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने शुक्रवार को पार्टीजन से कहा कि जिन राज्यों में हमारी स्थिति कमजोर है, वहां फौरन एकजुट हो जाना चाहिए लेकिन जहां हमारे गठबंधन हैं, वहां हमें गठबंधन की भावना और पार्टी की दृढ़ता के बीच संतुलन बनाकर चलना है।

कांग्रेस के दो दिवसीय चिन्तन शिविर में सोनिया ने कहा कि जिन राज्यों में हमारी सरकारें नहीं हैं, वहां हमें अपनी निजी महात्वाकांक्षाओं और अहम को भुलाकर फौरन एकजुट होना चाहिए जिससे पार्टी की जीत हो। हम ये क्यों भूल जाते हैं कि पार्टी की जीत ही हम सबकी जीत है।

गठबंधन के बारे में सोनिया ने कहा कि जिन राज्यों में हमारे गठबंधन हैं, वहां हमें गठबंधन की भावना और पार्टी की दृढ़ता के बीच संतुलन बनाकर चलना है ताकि संगठन को अधिक ऊर्जा मिल सके।

आगामी लोकसभा और कई राज्यों के विधानसभा चुनावों पर नजर रखते हुए कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि एकता और अनुशासन समय की मांग है क्योंकि पार्टी के सामने मुकाबला बड़ा है और परंपरा से उसके रहे समर्थन क्षेत्रों में दूसरों ने जगह बना ली है।

उल्लेखनीय है कि उत्तर प्रदेश, बिहार, गुजरात, मध्य प्रदेश, पश्चिम बंगाल और तमिलनाडु जैसे बड़े राज्यों में कांग्रेस कई साल से सरकार नहीं बना पाई है। पश्चिम बंगाल में हालांकि तीन दशक बाद कुछ समय के लिए कांग्रेस का ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस के साथ गठबंधन रहा। तमिलनाडु में कांग्रेस चार दशक से भी अधिक समय से सत्ता से बाहर है।

सोनिया ने कहा,‘वैसे हम अब भी देश की सबसे प्रमुख राजनीतिक शक्ति हैं लेकिन हमें ये भी स्वीकार करना चाहिए कि हमारे सामने मुकाबला बड़ा है और जो परंपरा से हमारे समर्थन के क्षेत्र थे, वहां दूसरों ने भी अपनी जगह बनायी है।’
उन्होंने कहा कि कई राज्यों में हम लंबे अरसे से सरकार से बाहर हैं लेकिन ‘मैं मानती हूं कि सिर्फ सत्ता में बने रहना ही हमारी राजनीति का कुल मकसद नहीं है, फिर भी इसका उलटा असर हमारे मनोबल और संगठन पर पडता ही है।’

शिविर में इस बार बड़ी संख्या में युवाओं की शिरकत पर टिप्पणी करते हुए उन्होंने कहा, ‘इस शिविर में एक और नया आयाम भी साफ दिखायी दे रहा है। यहां हिस्सा लेने वालों में अच्छी खासी संख्या नई पीढ़ी के प्रतिनिधियों की है। इसमें हमारी प्राथमिकता और देश की आबादी के बदले स्वरूप और उसमें युवाओं की सही तस्वीर मिलती है।

चिन्तन शिविर में राहुल गांधी की युवा ब्रिगेड का दबदबा है। पहली बार युवाओं की जबर्दस्त शिरकत को महत्वपूर्ण मानते हुए पार्टी नेताओं ने इसका श्रेय राहुल को दिया। अंबिका सोनी ने कहा कि इतनी बड़ी संख्या में युवाओं के आने से शिविर का महत्व बढ़ गया है तो दिग्विजय सिंह, सलमान खुर्शीद और राजीव शुक्ला बोले कि कांग्रेस की भावना राहुल को बड़ी और प्रभावी भूमिका देने की है।

कांग्रेस चिन्तन शिविर में यह पहला अवसर है जब 350 प्रतिनिधियों में से 160 एनएसयूआई और युवा कांग्रेस के हैं। इससे पहले इन संगठनों के प्रतिनिधियों की संख्या 5-10 से ज्यादा नहीं होती थी।

दिग्विजय सिंह ने कहा,‘कांग्रेस सदस्यों की भावना है कि राहुल गांधी आगामी लोकसभा चुनाव से पहले एक बड़ी और प्रभावी भूमिका को स्वीकार कर लें।’ हालांकि उन्होंने कहा, ‘राहुल को उनके अनुसार काम करने दें। उन्हें अपनी भूमिका स्वयं तय करने दें। इस बारे में उन पर किसी तरह का दबाव डालना जायज नहीं है।’

चिन्तन शिविर की शुरुआत करते हुए कांग्रेस नेता अंबिका सोनी ने कहा कि पार्टी का ये तीसरा शिविर पंचमढ़ी और शिमला के शिविरों से अलग है और इसका श्रेय राहुल को जाना चाहिए।

उन्होंने कहा,‘पहली बार इतनी बड़ी संख्या में एनएसयूआई और युवा कांग्रेस के चुने हुए प्रतिनिधि पार्टी के चिन्तन शिविर में मौजूद हैं। इतनी बड़ी संख्या में युवाओं के आने से शिविर का महत्व बढ़ गया है।’

पहली बार पार्टी के किसी चिन्तन शिविर में शामिल हो रहे राहुल कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी, प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और अन्य नेताओं के साथ मंच पर मौजूद थे।

कांग्रेस अध्यक्ष ने दो टूक शब्दों में पार्टी के लोगों से कहा कि अनुशासनहीनता, निजी महात्वाकांक्षाओं और अहम के कारण हमने ऐसे कई अवसर गवां दिए जो हमें देशवासी देना चाहते थे।

सोनिया ने पार्टीजन से सवाल किया,‘क्या ऐसा नहीं है कि हमने सिर्फ इस वजह से ऐसे कई अवसर गवां दिए, जो देशवासी हमें देना चाहते हैं क्योंकि हम एक अनुशासित और संगठित टीम की तरह काम करने में नाकाम रहे हैं।’

सोनिया ने कहा कि हमारी उपलब्धियों का एक भरा पूरा इतिहास है। समाज के सभी वर्ग हमसे जुडे हैं। हम सभी वर्गों’ के हितों और चिन्ताओं के लिए आवाज बुलंद करते हैं खासकर कमजोर वर्गों’ जैसे दलित आदिवासी अल्पसंख्यक और महिलाएं। उन्होंने कहा कि हमने हमेशा किसानों और खेतिहर मजदूरों के हितों की अगुवाई की है।

उन्होंने कहा कि सबका समावेशी दृष्टिकोण हमारे लिए सिर्फ चुनाव जीतने और सरकार चलाने की कोई राजनीतिक चाल नहीं है। यह समावेश हमारी विचारधारा का संबल है। यह किसी मजबूरी का नतीजा नहीं है, जैसे हमारे कुछ विरोधियों के लिए है।

सोनिया ने कहा कि एकता बड़ी-बड़ी बातों का ऐलान करने से नहीं आती। ये हमारे भीतर से आनी चाहिए। हमारे इस महान संगठन का हर एक कार्यकर्ता आज एकता के लिए परेशान है और हमारा फर्ज बनता है कि हम उसकी यह मांग पूरी करें।

सोनिया ने कहा कि हमें सभी स्तरों पर नेतृत्व का विकास करना है। ऐसा नेतृत्व जो प्रभावी हो, आगे बढ़ने से न डरे और लोगों की आकांक्षाओं और सरोकारों से जुड़े मुद्दों को जोर शोर से उठाए। पार्टी में अच्छा काम करने वालों को अपने काम के बल पर आगे बढ़ने के अवसर मिलने चाहिए, किसी की छत्रछाया पर नहीं।

उन्होंने कहा कि जयपुर का ये शिविर पंचमढ़ी और शिमला में हुई बैठकों से दो तरह से अलग है। पहली बात तो ये कि हम एक ऐसे समय में मिल रहे हैं जब हम केन्द्र में करीब नौ साल से सरकार में हैं।

सोनिया ने कहा कि इसी तरह इस समय हम कई राज्यों में सरकार में नहीं हैं और ऐसे कई राज्यों में कडी चुनौतियों का सामना कर रहे हैं जो हमारे पुराने गढ माने जाते हैं। दूसरी बात ये कि पिछले नौ साल में भारी आर्थिक विकास, सामाजिक बदलाव और तकनीकी की नयी खोज सामने आयी हैं। नयी अपेक्षाओं की लहर दिखाई दे रही है। इसके लिए नयी जवाबदेही की जरूरत है।

भ्रष्टाचार का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि हमारे नागरिक सार्वजनिक जीवन के उंचे स्तर पर भ्रष्टाचार देखकर जायज तौर पर आजिज आ गये हैं। उन्होंने कहा कि यह ठीक ही है कि लोग रोजमर्रा की जिन्दगी में फैले भ्रष्टाचार से तंग हैं। ये एक हकीकत है, एक मंथन है, इसे हमें समझना चाहिए। इसका हल निकालकर जवाब देना चाहिए।

कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि ये कैसे हो सकता है कि हम अपने बढते हुए शिक्षित और मध्य वर्ग को भ्रमित होकर राजनीतिक प्रक्रिया से कटकर अलग थलग होने दें। उन्होंने सभी प्रतिनिधियों से कहा कि वे शिविर में साफ साफ और खुलकर अपनी बातें रखें क्योंकि हम यहां गंभीर चिन्तन के लिए आये हैं, जिससे हमारा भविष्य तय होगा। जब हम यहां से जाएं तो हमारे सामने एक स्पष्ट और पूरा लक्ष्य होना चाहिए। हमें यहां से नयी उर्जा और ताकत के साथ जाना है और सीधे काम में जुट जाना है।

पार्टी नेतृत्व की ओर से जयपुर शिविर को ‘युवा और अनुभव’ का ऐसा ‘संगम’ बताया जा रहा है जो आगामी लोकसभा चुनावों में संप्रग-3 सरकार बनाने के लिए मिलकर काम करेगा।

जयपुर चिंतन शिविर में पांच विषयों पर चर्चा हो रही है जिनमें उभरती राजनीतिक चुनौतियां और संगठनात्मक ताकत की समीक्षा मुख्य हैं। (एजेंसी)

First Published: Friday, January 18, 2013, 22:55

comments powered by Disqus