Last Updated: Tuesday, May 28, 2013, 20:08

नई दिल्ली : भारत ने आज कहा कि हाल की घटनाओं की पृष्ठभूमि में भारत-पाक संबंधों में ‘‘गंभीर चिंताओं’’ का अंबार लग गया है और दोनों देश समग्र वार्ता के टूटे धागों को फिर से जोड़ें, उससे पहले पाकिस्तान को इन चिंताओं को दूर करना होगा। पिछले कुछ महीने में दोनो देशों के बीच जल सचिव स्तर की वार्ता सहित विभिन्न स्तर की बातचीत को जनवरी में नियंत्रण रेखा पर एक भारतीय सैनिक का सिर काटे जाने की घटना के बाद रद्द किया गया। विदेश मंत्री सलमान खुर्शीद ने कहा, ‘‘हमारे बीच एक समग्र वार्ता है, जिसे फिर से शुरू करना होगा।’’ यह पूछे जाने पर कि पाकिस्तान की नयी सरकार से उनकी क्या उम्मीदें हैं, खुर्शीद ने कहा, ‘‘पिछले कुछ महीने में कुछ गंभीर चिंताओं का अंबार लग गया है और निश्चित रूप से इन चिंताओं में से कुछ को दूर करना होगा अगर हमें देश की तमाम जनता को अपने साथ लेकर चलना है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘यह जरूरी है कि लोग हर उस पहल का समर्थन करें, जिसे आगे लेकर जाना है।’’ उन्होंने कहा कि समग्र वार्ता ही वह जरिया है, जिसे दोनों देशों ने आगे बढ़ने का श्रेष्ठ रास्ता माना था।
खुर्शीद ने प्रेस ट्रस्ट के साथ एक मुलाकात में कहा, ‘‘और वह समग्र वार्ता विश्वास बढ़ाने और हल किए जाने लायक तमाम मामलों को हल करने पर आधारित होनी चाहिए। इस दौरान ज्यादा पेचीदा मामलों में न उलझा जाए, जिन्हें सुलझाने में लंबा वक्त लग सकता है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘निश्चित रूप से यही वह जगह है जहां से हमें फिर से शुरूआत करनी है।’’ खुर्शीद ने पाकिस्तान के प्रधानमंत्री बनने जा रहे नवाज शरीफ द्वारा की गई सकारात्मक टिप्पणियों की चर्चा की, जिनमें मुंबई हमला मामले की कानूनी प्रक्रिया में तेजी लाने, पाकिस्तान की जमीन का इस्तेमाल भारत विरोधी गतिविधियों के लिए न होने देने और भारत के साथ शांति बढ़ाने की जरूरत आदि शामिल है।
खुर्शीद ने कहा, ‘‘उन्होंने प्रधानमंत्री का पद संभालने से पहले यह संकेत दिए हैं। हम चाहते हैं कि वह अपने कार्यभार को अच्छे से संभाल लें और उसके बाद बातचीत के टूटे सिरे वहीं से उठा लें, जहां वह छूटे थे।’’ खुर्शीद ने बार बार इस बात पर जोर दिया कि दोनो देशों के बीच समग्र वार्ता फिर से शुरू करने की जरूरत है। पिछले कुछ महीने में भारत और पाकिस्तान के रिश्तों में खटास आई है और इसके लिए बहुत सी वजूहात जिम्मेदार हैं। इसमें नियंत्रण रेखा पर संघषर्विराम का उल्लंघन, एक भारतीय सैनिक का सिर काटना और पाकिस्तानी जेल में भारतीय कैदी सरबजीत सिंह की मौत आदि शामिल है।
सउदी अरब की यात्रा से लौटे खुर्शीद से उस देश के साथ आतंकवाद निरोधी सहयोग के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा, ‘‘मेरी आखिरी बैठक वहां के आंतरिक सुरक्षा मंत्री के साथ हुई, जो भारत को लेकर खासे उत्साहित हैं और चाहते हैं कि आतंकवाद निरोधक से जुड़े मामलों पर भारत और सउदी अरब के बीच और अधिक सहयोग होना चाहिए।’’ उन्होंने बताया कि सउदी अरब के मंत्री के साथ मुलाकात में उन्होंने साइबर सुरक्षा का मुद्दा भी उठाया, जिसके बारे में उन्होंने कहा कि वह पूरी तरह से राजी हैं।
खुर्शीद ने कहा, ‘‘उनका विचार है कि हमारी समान नियती है और वह निश्चित रूप से मुझे एक ऐसे व्यक्ति लगे जो भारत के लिए बहुत अच्छा सोचते हैं।’’ अफगानिस्तान पर सउदी अरब के रवैए और उन सीमाओं के बारे में पूछे जाने पर जिनके बारे में भारत का कहना है कि तालिबान के साथ शांति समझौते पर बातचीत के दौरान उनका पालन होना चाहिए, खुर्शीद ने कहा, ‘‘मुझे लगता है कि वह इन सीमाओं से खासे खुश हैं।’’
अन्तरराष्ट्रीय समुदाय ने इससे पहले कुछ सीमाएं निर्धारित की थीं, जिनके अंतर्गत कहा गया था कि बातचीत में शामिल होने के इच्छुक लोगों को हिंसा छोड़ देनी होगी, उग्रवादी समूहों से नाता तोड़ना होगा और अफगान संविधान का पालन करना होगा। खुर्शीद ने कहा कि सउदी अरब भारत के विचार और अवधारणा के बारे में बेहतर ब्यौरा जानना चाहता है, ‘‘जो वहां व्यापक तौर पर है तो, लेकिन उसमें हम अभी और स्पष्टता आते देखना चाहते हैं।’’ उन्होंने कहा, ‘‘हम नहीं जानते कि तालिबान के साथ अफगानिस्तान की अगुवाई में शांति प्रक्रिया कैसे आगे बढ़ेगी। क्या इस उद्देश्य के लिए दोहा कार्यालय को फिर से कार्यशील किया जा रहा है और क्या तालिबान स्पष्ट रूप से सीमाओं के प्रति खुद को प्रतिबद्ध करेगा।’’ उन्होंने बताया कि अफगानिस्तान के राष्ट्रपति हामिद करजई पिछले सप्ताह जब भारत के दौरे पर आए थे तो ‘‘वह इसका विवरण देने की स्थिति में नहीं थे क्योंकि मुझे लगता है कि काम अभी प्रगति पर है।’’ खुर्शीद ने कहा, ‘‘हमने सउदी अरब से कहा है कि हम उनके साथ सहयोग बढ़ाकर बहुत खुश होंगे, हम उनके संपर्क में रहना चाहेंगे और जब चीजें विकसित होंगी और ज्यादा स्पष्ट होने लगेंगी, हम अपनी बातचीत के सिरे उठा सकते हैं।’’ अफगानिस्तान में सउदी अरब की भूमिका के बारे में विदेश मंत्री ने कहा, सउदी अरब का इस बारे में अभी ‘‘मजबूत निर्णायक विचार नहीं लगता।’’ ‘‘अफगानिस्तान के साथ उनका संपर्क अफगान सरकार की पहल पर शुरू हुआ है और मुझे लगता है कि वह इस बात के बारे में फैसला करने को लेकर सोच रहे हैं कि इस दिशा में कैसे आगे बढ़ा जाए। वह भारत जैसे देशों के अनुभव से सीख रहे हैं, जो वहां व्यापक रूप से मौजूद है।’’ विदेश मंत्री ने कहा।
यह पूछे जाने पर कि विवादास्पद ‘निताकत’ कानून की वजह से कितने लोग भारत में वापस लौट आएंगे, खुर्शीद ने कहा, ‘‘हम इसपर काम कर रहे हैं। :कुछ कहना: अभी भी बहुत जल्दी है। शायद कुछ हजार लोग, कुछ हजार लोग वापस आएंगे।’’ उन्होंने जोर देकर कहा कि वापस लौटने के मकसद से अपने कागजात को नियमित करने के लिए तीन महीने का वक्त दिया जाना एक उदार पेशकश है।
विदेश मंत्री ने कहा, ‘‘यह हमारे पास एक उदार पेशकश है जिसमें वह लोग जो अपने वास्तविक प्रायोजकों के साथ रह पाने में असमर्थ हैं इस अवधि में अन्य प्रायोजक तलाश कर सकते हैं और यह प्रक्रिया चल रही है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘जिन लोगों को किसी ने स्वीकार नहीं किया अथवा जिन्हें कोई नहीं चाहता, दरअसल सिर्फ उन्हीं को वापस लौटना होगा। और इसके लिए अगर उनके पास कागजात नहीं हैं तो उन्हें कागजात दिए जाएंगे, आपातकालीन प्रमाणपत्र। अगर उनके पास कागजात हैं, तो उन्हें बस लौट आना होगा।’’ मंत्री ने कहा कि सरकार सउदी अधिकारियों के साथ संपर्क में रहेगी।
खुर्शीद ने कहा, ‘‘मुझे लगता है कि सउदी सरकार काफी उदार है और वह तमाम उपाय कर रही है जो तीन महीने की समय सीमा के दौरान हर किसी की समस्या के समाधान के लिए उठाए जा सकते हैं।’’ सउदी अरब की उनकी यात्रा की उपलब्धि के बारे में पूछे जाने पर खुर्शीद ने कहा, ‘‘मुझे नहीं लगता कि इस यात्रा से हमें जो मिला है उससे ज्यादा मिल सकता था। हमारा शानदार स्वागत किया गया, मुक्त परिचर्चा हुई, हमारे वैश्विक विचारों के प्रति पूर्ण सहमति और हर उस क्षेत्र में काम करने की उत्कंठा दिखी , जहां हमारा सहयोग बढ़ाने के लिए काम करने की जरूरत है।’’ (एजेंसी)
First Published: Tuesday, May 28, 2013, 19:46