Last Updated: Tuesday, May 8, 2012, 16:27
नई दिल्ली : सरकार ने तत्कालीन वित्त मंत्री के रूप में पी. चिदम्बरम द्वारा एयरसेल-मैक्सिस सौदे को विदेशी निवेश संवर्धन बोर्ड (एफआईपीबी) द्वारा मंजूरी दिए जाने में देरी करने संबंधी समाचार रिपोटरे को ‘तथ्यात्मक रूप से गलत और पूरी तरह बेबुनियाद’ बताते हुए खारिज कर दिया।
सरकार द्वारा आज जारी एक बयान में कहा गया है कि उसने 28 अप्रैल को मैसर्स ग्लोबल कम्युनिकेशन सर्विस होल्डिंग लिमिटेड, मारीशस द्वारा किए गए विदेशी निवेश के संबंध में एक प्रेस विज्ञप्ति जारी की थी। यह निवेश मैसर्स एयरसेल लिमिटेड में 73. 99 फीसदी इक्विटी हासिल करने के संबंध में था। देरी संबंधी आरोपों से इनकार करने वाले पूर्व बयान का हवाला देते हुए सरकार ने कहा कि उस बयान की विषयवस्तु ‘सही है और हम उसे दोहराते हैं।’
एक समाचार रिपोर्ट में कहा गया है कि 28 अप्रैल का बयान सचाई से परे था। इस पर प्रतिक्रिया करते हुए सरकारी बयान में कहा गया कि उसके बाद मैसर्स ग्लोबल कम्युनिकेशन सर्विस होल्डिंग लिमिटेड द्वारा निवेश संबंधी एक अन्य आवेदन मिला। इसमें निवेश के आवेदन के लिए एक सितंबर 2006 की तारीख दी गई है। तीन अक्टूबर को एफआईपीबी की बैठक हुई जिसमें उसने प्रस्ताव की सिफारिश की, छह अक्तूबर को एफआईपीबी के मिनट्स की रूपरेखा तय कर उप सचिव द्वारा पेश की गईं। 12 अक्तूबर को वित्तमंत्री ने मिनट्स का अनुमोदन किया और उसके बाद 20 अक्तूबर को औपचारिक अनुमोदन पत्र जारी किया गया।
बयान में कहा गया है कि उपरोक्त बातों से साफ होगा कि प्रस्ताव सामान्य प्रक्रिया के तहत आगे बढ़ा और बिना किसी देरी के सामान्य तरीके से प्रस्ताव को मंजूरी दी गई। सरकार का बयान कहता है कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि बिना तथ्यों की पुष्टि किए बेबुनियाद आरोप लगाए गए।
(एजेंसी)
First Published: Tuesday, May 8, 2012, 21:57