Last Updated: Friday, April 26, 2013, 00:25

नई दिल्ली : चीन ने लद्दाख क्षेत्र में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) का उल्लंघन नहीं करने के अपने अड़ियल रुख पर कायम रहते हुए गुरुवार को कहा कि उसने उकसाने वाली कोई हरकत नहीं की है। उसने यह भी कहा कि इस घटना से द्विपक्षीय रिश्तों पर कोई असर नहीं होगा और सीमा पर शांति बाधित नहीं होगी क्योंकि दोनों देश मित्रवत ढंग से इस मुद्दे का समाधान करने का प्रयास कर रहे हैं। वहीं, चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) ने यदि पूर्वी लद्दाख के दौलत बेग ओल्डी (डीबीओ) सेक्टर स्थित भारतीय क्षेत्र में अपने सैनिकों की संख्या बढ़ाई तो भारत भी वहां तैनात अपने सैनिकों की संख्या में बढ़ोतरी करेगा।
इस बीच, लद्दाख में चीनी सेना द्वारा भारतीय क्षेत्र के अतिक्रमण के मुद्दे पर गुरुवार को सरकारी स्तर पर गहमागहमी रही। सेनाध्यक्ष जनरल बिक्रम सिंह ने रक्षा मंत्री ए.के. एंटनी से मुलाकात कर अतिक्रमण पर जानकारी दी और विदेश मंत्री सलमान खुर्शीद ने कहा कि वे नौ मई को चीन की यात्रा पर जाएंगे। विदेश मंत्री ने लद्दाख में उत्पन्न गतिरोध के समाधान होने की उम्मीद जताई।
सरकारी सूत्रों ने कहा कि चीन सीमा पर तैनात लेह स्थित 14 कोर से लेकर पूर्वोत्तर में तैनात तीसरी कोर की सैन्य टुकड़ियां पीएलए के भारतीय क्षेत्र में प्रवेश के किसी भी दुस्साहस को रोकने के लिए पूरी तरह चौकस हैं। चीन सेना की एक प्लाटून ने गत 15 अप्रैल को भारतीय क्षेत्र में घुसपैठ करके वहां तंबू खड़े कर लिये थे। चीनी सैनिकों ने दावा किया था कि वे अपने क्षेत्र में हैं। इसके बाद भारत ने वहां चीनी सैनिकों के शिविर के पास ही सेना और भारत तिब्बत सीमा पुलिस (आईटीबीपी) का एक छोटा सैन्य शिविर स्थापित कर दिया था।
सूत्रों ने कहा कि वर्तमान समय में सेना को चीनी सैनिकों की गतिविधियों पर नजर रखने और ‘गैर आक्रामक रख’ अपनाने को कहा गया है। हालांकि यदि पीएलए अपने सैनिकों की संख्या बढ़ाती है तो सेना भी वहां अपने सैनिकों की संख्या बढ़ाएगी। सूत्रों ने बताया कि दो स्थानों पर करीब 30 चीनी सैनिक हैं। इसमें से तंबू वाले क्षेत्र और एक अन्य स्थान शामिल है जहां दोनों देशों के सैनिक हाथों में बैनर लिये हुए एकदूसरे के सामने हैं। सूत्रों ने बताया कि चीनी सैनिक पीएलए के बार्डर डिफेंस रेजीमेंट के हैं। बार्डर डिफेंस रेजीमेंट चीनी सैनिकों द्वारा खड़े किए गए तंबू वाले स्थान से 25 किलोमीटर उत्तर में स्थित है।
उन्होंने कहा कि माना जाता है कि चीनी सैनिकों को रसद की आपूर्ति अपनी इकाई से राकी नाला के जरिये हो रही है जो चीन से भारतीय क्षेत्र की ओर बहता है। सूत्रों ने बताया कि चीनी सैनिक असाल्ट राइफलों से लैस हैं और उनके पास अभी तक कोई भी भारी हथियार नहीं है। उनके पास उनकी गतिविधियों की सहायता के लिए दो छोटे वाहन भी हैं। सूत्रों ने बताया कि भारतीय पक्ष चीनी पक्ष के साथ एक फ्लैग मीटिंग के लिए कह सकता है लेकिन इस बारे में अभी निर्णय नहीं हुआ है। दोनों पक्षों के बीच दो दौर की फ्लैग मीटिंग पहले ही हो चुकी है लेकिन कोई सफलता हाथ नहीं लगी है क्योंकि चीनी सैनिक अभी तक वहां से नहीं हटें हैं।
उधर, सलमान खुर्शीद ने लद्दाख में उत्पन्न गतिरोध के समाधान होने की उम्मीद जताई है। खुर्शीद ने नौ मई को अपने बीजिंग दौरे से पहले घुसपैठ के मुद्दे का समाधान निकाल लिए जाने की उम्मीद जताते हुए कहा है कि भारत कमजोर नहीं है। अफगानिस्तान पर एक अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में हिस्सा लेने कजाकिस्तान पहुंचे खुर्शीद ने कहा कि हम डरे हुए नहीं हैं। भारत कमजोर नहीं है।
उधर, बीजिंग में चीन के राष्ट्रीय रक्षा मंत्रालय ने एक संवाददाता सम्मेलन आयोजित कर भारतीय क्षेत्र का अतिक्रमण किए जाने से इंकार किया। चीन ने कहा है कि इस संबंध में भारतीय मीडिया में आई खबरें सही नहीं हैं। विश्वस्त सूत्रों ने बताया कि रक्षा मंत्री ए.के. एंटनी और सेना प्रमुख जनरल बिक्रम सिंह के बीच गुरुवार को हुई मुलाकात में लद्दाख में चीनी सेना का अतिक्रमण मुख्य मुद्दा रहा।
मुलाकात के दौरान विभिन्न विकल्पों पर चर्चा हुई। यहां तक कि उनलोगों ने अतिक्रमण को तकनीकी करार दिया जिससे स्थानीय कमांडर निपटेंगे। जनरल बिक्रम सिंह के जम्मू के समीप नगरोटा स्थित उत्तरी कमान की यात्रा से लौटने के एक दिन बाद रक्षा मंत्री से उनकी मुलाकात हुई है। उत्तरी कमान में सेनाध्यक्ष ने ले.जन. के.टी. परनाइक एवं अन्य वरिष्ठ अधिकारियों के साथ मुलाकात की। सूत्रों ने कहा कि सेना ने लद्दाख में देपसांग इलाके में स्थिति की निगरानी करने वाले चीनी अध्ययन समूह को भी अपना इनपुट दिया है। देपसांग इलाके में ही चीनी सेना ने 15 अप्रैल को वास्तविक नियंत्रण रेखा से 10 किलोमीटर भारतीय क्षेत्र में एक पोस्ट स्थापित कर लिया है।
राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार शिवशंकर मेनन की अध्यक्षता वाले चीनी अध्ययन समूह में रक्षा मंत्रालय, विदेश मंत्रालय और गृह मंत्रालय के सचिव शामिल हैं। इस बीच विदेश मंत्री सलमान खुर्शीद ने गुरुवार को नई दिल्ली में कहा कि वे 9 मई को चीन की यात्रा पर जाएंगे और उन्होंने लद्दाख में एलएसी पर दोनों देशों की सेना के बीच उत्पन्न गतिरोध के खत्म हो जाने की उम्मीद जताई।
बीजिंग में चीन के राष्ट्रीय रक्षा मंत्रालय ने गुरुवार को गुरुवार को कहा कि उसकी सेना और विमानों ने भारत और चीन के बीच स्थित वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) का उल्लंघन और भारतीय क्षेत्र का अतिक्रमण नहीं किया है। मंत्रालय की प्रवक्ता यांग यूजुन ने यहां एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि चीनी सीमा दस्ते, सैनिक विमानों और हेलीकाप्टरों के बारे में मीडिया में आई खबरें सही नहीं हैं। समाचार एजेंसी सिन्हुआ ने प्रवक्ता के हवाले से कहा है कि चीनी और भारतीय सीमा रक्षक दस्ते उपलब्ध माध्यम के जरिए संपर्क बनाए हुए हैं। प्रवक्ता के मुताबिक चीन के सीमा रक्षक दस्ते भारत और चीन के बीच हुए समझौतों का कड़ाई से पालन कर रहे हैं और सीमा पर शांति बनाए रखने के लिए काम कर रहे हैं। चीनी सेना ने 15 अप्रैल को अतिक्रमण किया और नए पोस्ट की अहर्निश निगरानी में 50 सैनिक तैनात हैं। मंगलवार को भारतीय और चीनी सेना के कमांडरों ने गतिरोध खत्म करने के लिए फ्लैग मीटिंग की थी। भारत ने चीन से अतिक्रमण के पहले की स्थिति बनाए रखने के लिए कहा है।
First Published: Friday, April 26, 2013, 00:25