Last Updated: Friday, October 19, 2012, 20:24
नई दिल्ली : भारत-चीन युद्ध के 50 साल बीत जाने के बावजूद देश की सीमाओं पर खतरा टला नहीं है और रक्षा विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि अगर केंद्र सरकार ने आधारभूत ढांचे और तीनों सशस्त्र बलों के आधुनिकीकरण की दिशा में तत्काल कदम नहीं उठाए तो आने वाले समय में देश को इसके गंभीर नतीजे भुगतने पड़ सकते हैं।
भारत चीन युद्ध के बाद चीन की सीमा पर तैनात किए लेफ्टिनेंट जनरल (अवकाशप्राप्त) शंकर राय चौधरी ने कहा कि वर्ष 1962 के युद्ध के बाद से देश में काफी बदलाव आया है, लेकिन खतरा अभी टला नहीं है। सरकारी हलकों में कहा जा रहा है कि भारत और चीन के बीच युद्ध का कोई खतरा नहीं है जबकि ऐसा नहीं है। उन्होंने कहा कि वर्ष 1962 के पहले भी ऐसी ही स्थिति थी और ‘हिंदी चीनी भाई भाई’ का नारा बीजिंग से नई दिल्ली तक गूंज रहा था, लेकिन दोनों देशों के बीच युद्ध हुआ। हमें यह कभी सोचना नहीं चाहिए कि अच्छे संबंधों की वजह से दुश्मन हमला नहीं करेगा। इसके बजाय हमें हालात को ऐसा बनाना चाहिये कि चीन हम पर हमला करने के बारे में सोच ही नहीं सके।
भारत के सुरक्षा हालात पर ‘अंडर फायर’ नामक किताब लिखने वाले रक्षा मामलों के विशेषज्ञ कैप्टन (अवकाशप्राप्त) भरत वर्मा ने कहा कि भारत चीन युद्ध में हमारी हार के पीछे देश के तत्कालीन शीर्ष नेतृत्व की भूल थी । प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू कहते थे कि ‘हमें रक्षा नीति की कोई जरूरत नहीं है, हमारी रक्षा नीति अहिंसा है। वर्मा ने कहा कि भारत सरकार की राजनीतिक इच्छा शक्ति और भारत की सैन्य क्षमता इतनी जबर्दस्त होनी चाहिए कि तिब्बत और लाहौर को बचाने में ही चीन और पाकिस्तान के पसीने छूट जाएं और वे अरुणाचल प्रदेश तथा कश्मीर का नाम ही नहीं ले सकें।
उन्होंने कहा कि देश आज आंतरिक और बाह्य चुनौतियों से जूझ रहा है। पचास साल बीत जाने के बावजूद सरकार ने पूर्वोत्तर में आधारभूत ढांचे का विकास नहीं किया है। इस मामले में हम चीन से 20 से 25 साल पीछे हैं। पूर्वोत्तर और अन्य जगहों पर विमानों के उतरने के लिये ‘एडवांस लैंडिंग ग्राउंड’ बहुत कम हैं। चौधरी ने कहा कि इस युद्ध से पहले भारत में शीर्ष सैन्य नेतृत्व को कोई खास तवज्जो नहीं दी गई। उस समय प्रधानमंत्री के आदेश पर सेनाध्यक्ष की नियुक्ति की जाती थी। भारत-चीन युद्ध के बाद स्थिति में काफी बदलाव आया। अब सेना बोर्ड के कहने पर कोर कमांडरों और शीर्ष सैन्य अधिकारियों की पदोन्नति की जाती है।
सेना प्रमुख के पद पर पदोन्नति योग्यता के आधार पर की जाने लगी है। उन्होंने कहा कि आज सेना के स्ट्राइक कोर की सख्त जरूरत है लेकिन सरकार अभी तक इस पर फैसला नहीं कर सकी है। पहाड़ों में लड़ने में सक्षम दो ‘माउंटेन डिवीजन’ बनाने की सरकार ने स्वीकृति दी है, लेकिन अभी इस पर अमल नहीं हो पाया है। चीन का रक्षा बजट इस वित्तीय वर्ष में जहां करीब 110 अरब डालर का है वहीं भारत का रक्षा बजट करीब 36 अरब डालर का है। हथियारों के मामले में भी चीन आज भारत से काफी आगे निकल चुका है। अमेरिकी वैज्ञानिकों के संघ के मुताबिक चीन के पास कुल 240 परमाणु बम हैं जबकि भारत के पास 80 से 100 के बीच हैं। (एजेंसी)
First Published: Friday, October 19, 2012, 20:24