छोटी बचतों पर मिलेगा अब ज्यादा ब्याज - Zee News हिंदी

छोटी बचतों पर मिलेगा अब ज्यादा ब्याज

नई दिल्ली : डाकघर में छोटी मोटी बचत करने वाले लाखों लोगों को भी अब अधिक ब्याज का लाभ मिलेगा। सरकार ने शुक्रवार को डाकघर बचत खाते और मासिक आय योजना पर अधिक ब्याज देने की घोषणा की है। सरकार ने इसके साथ ही किसान विकास पत्र (केवीपी) को बंद करने का भी फैसला लिया है।

 

सरकारी विज्ञप्ति के अनुसार, डाकघर बचत खाते पर ब्याज दर 3.5 प्रतिशत से बढ़ाकर चार प्रतिशत कर दी गई है जबकि मासिक आय योजना और लोक भविष्य निधि (पीपीएफ) पर अब क्रमश 8.2 प्रतिशत और 8.6 प्रतिशत सालाना दर से ब्याज दिया जाएगा। एक साल की सावधि जमा पर सबसे ज्यादा ब्याज बढ़ाया गया है। इसे 6.25 प्रतिशत से बढ़ाकर 7.7 प्रतिशत कर दिया गया है। दूसरी परिपक्वता अवधि की जमाओं पर भी ब्याज दर में वृद्धि की गई है।

 

विज्ञप्ति के अनुसार, नई ब्याज दरें इस संबंध में अधिसूचना जारी होने के दिन से लागू होंगी। अधिसूचना जल्द जारी की जाएगी। विज्ञप्ति के अनुसार, राष्ट्रीय बचत पत्र (एनएससी) और मासिक आय योजना की परिपक्वता अवधि को छह वर्ष से घटाकर पांच साल कर दिया गया है। इसके अलावा 10 साल की परिपक्वता अवधि वाले राष्ट्रीय बचत पत्र जारी करने का भी फैसला किया गया है।

 

डाकघर बचत योजनाओं पर ब्याज दरों में वृद्धि का यह निर्णय रिजर्व बैंक की पूर्व डिप्टी गवर्नर श्यामला गोपीनाथ की अध्यक्षता में गठित समिति की सिफारिशों के अनुरुप लिया गया है। इससे लघु बचत योजनाओं को भी बाजार दर के अनुरुप आकर्षक बनाने में मदद मिलेगी और आम जनता को बेहतर रिटर्न उपलब्ध हो सकेगा।

 

लघु बचत जमा योजनाओं पर ब्याज दरों में वृद्धि संबंधी मुख्य बातें इस प्रकार हैं
-डाकघर बचत खाते पर ब्याज दर बढ़कर चार प्रतिशत वार्षिक।
-लोक भविष्य निधि यानी पीपीएफ खाते पर 8.6 प्रतिशत ब्याज।
-पीपीएफ खाते में निवेश सीमा 70 हजार से बढ़ाकर एक लाख रुपए वार्षिक।
-पांच वर्ष की मासिक आय योजना पर 8.2 प्रतिशत ब्याज।
-एक वर्ष की सावधि जमा पर अब 7.7 प्रतिशत ब्याज।
-किसान विकास पत्र अब नहीं होंगे जारी।
-पांच साल के आवृति जमा खाते पर आठ प्रतिशत ब्याज।
-8.7 प्रतिशत सालाना ब्याज दर वाले 10वर्षीय राष्ट्रीय बचत पत्र होंगे जारी।
-मासिक आय योजना की परिपक्वता पर पांच प्रतिशत बोनस नहीं
-पीपीएफ और वरिष्ठ नागरिक योजनाओं पर एजेंट कमीशन समाप्त होगा।

(एजेंसी)

First Published: Saturday, November 12, 2011, 12:17

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