Last Updated: Thursday, June 20, 2013, 21:28
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नई दिल्ली : राजग से जदयू के नाता तोड़ लेने के बाद भाजपा ने अपनी राष्ट्रीय राजनीति की योजना में गुजरात के मुख्यमंत्री को खुल कर आगे बढ़ाते हुए गुरुवार को कहा कि देश की जनता एक निर्णायक, गतिशील और विकासोन्मुखी नेता चाहती है और इसीलिए वह नरेन्द्र मोदी के बारे में बातें कर रही है।
पार्टी के पूर्व अध्यक्ष एम. वेंकैया नायडू ने यहां भाजपा मुख्यालय में संवाददाताओं से कहा कि हर क्षेत्र में संप्रग शासन के असफल होने के कारण कांग्रेस विकास के मुद्दे से मुंह छिपाने के लिए धर्मनिरपेक्षता का सिक्का उछाल रही है, लेकिन जनता इसकी चाल में आने वाली नहीं है।
कांग्रेस अध्यक्ष पर प्रहार करते हुए उन्होंने कहा कि टीएमसी, डीएमके, जेएमएम सब एक एक करके संप्रग को छोड़ गए और सोनिया जी भाजपा पर आरोप लगा रही हैं कि वह सत्ता हासिल करने के लिए देश में अस्थिरता फैला रही है। मोदी को एक तरह से भाजपा के चेहरे के रूप में पेश करते हुए नायडू ने कहा कि जनता निर्णायक, गतिशील और विकासोन्मुखी नेता और पार्टी चाहती है। यही कारण है कि वह आज भाजपा की ओर देख रही है और मोदी के बारे में बातें कर रही है।
भाजपा के गोवा अधिवेशन में पार्टी की चुनाव अभियान समिति का अध्यक्ष बनाए जाने पर मोदी के `कांग्रेस मुक्त भारत निर्माण` नारे का उपयोग करते हुए नायडू ने कहा कि जनता कांग्रेस के कुशासन से मुक्ति चाहती है। वह कांग्रेस मुक्त भारत चाहती है। इस सवाल पर कि जदयू के छोड़ जाने पर मोदी का ‘कांग्रेस मुक्त भारत’ का सपना कैसे पूरा होगा, उन्होंने दावा किया, लोकसभा चुनाव से पहले और बाद में राजनीतिक शक्तियों का पुनर्निर्धारण होगा।
भाजपा पर साम्प्रदायिक और विभाजनकारी राजनीति करने के आरोप को खारिज करते हुए नायडू ने उल्टे कांग्रेस पर ऐसा करने को इल्जाम लगाए। उन्होंने कहा कि कांग्रेस देश की सबसे अधिक साम्प्रदायिक पार्टी है जो हमेशा साम्प्रदायिक और विभाजनकारी राजनीति करती है। उन्होंने कहा कि अगर ऐसा नहीं है तो कांग्रेस नीत संप्रग सरकार में मुस्लिम लीग कैसे शामिल है। उन्होंने कहा कि जवाहरलाल नेहरू और इंदिरा गांधी के समय में तो मुस्लिम लीग को सरकार में कभी शामिल नहीं किया गया। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर निशाना साधते हुए भाजपा नेता ने कहा कि इस सबके बावजूद वह इस सरकार के प्रधानमंत्री से ‘सेकुलर’ होने का तमगा पा कर गदगद हुए जा रहे हैं। जिस पार्टी के शासन में 1984 के सिख विरोधी दंगों सहित सैकड़ों दंगे हुए हों, उससे सेकुलर होने का तमगा लेने में क्या विश्वसनीयता रह जाती है।
उन्होंने कहा कि बिहार विधानसभा में नीतीश सरकार के विश्वास मत में कांग्रेस के समर्थन देने से जदयू और कांग्रेस की मिलीभगत सामने आ गई है। लेकिन एक बात हैरान करने वाली है कि जिस जदयू और उसके नेता अबसे पहले तक तमाम उम्र सड़कों से लेकर संसद तक कांग्रेस के विरोध की राजनीति करते रहे, अब उसके साथ सहज कैसे और क्यों महसूस कर रहे हैं। (एजेंसी)
First Published: Thursday, June 20, 2013, 21:28