ज़ीने को 25 रुपये पर्याप्त: योजना आयोग - Zee News हिंदी

ज़ीने को 25 रुपये पर्याप्त: योजना आयोग

ज़ी न्यूज़ ब्यूरो

नई दिल्ली : भारतीय योजना आयोग का मानना है कि देश के ग्रामीण क्षेत्रों में 25 रुपये प्रतिदिन की आमदनी जीने के लिए पर्याप्त है. आयोग ने सार्वजनिक वितरण प्रणाली में व्याप्त भ्रष्टाचार को लेकर सुप्रीम कोर्ट में लंबित पीपुल्स यूनियन फॉर सिविल लिबर्टीज की याचिका में दाखिल हलफनामे में गरीबी की रेखा के पैमाने को विस्तार से रेखांकित किया है. इस मामले में कोर्ट 11 अक्टूबर को विचार करेगी.

आयोग के सलाहकार बीडी विर्दी ने हलफनामे में कहा कि प्रो. सुरेश तेंडुलकर की अध्यक्षता वाले विशेषज्ञ समूह ने 2004-25 की कीमतों के आधार पर गरीबी रेखा का निर्धारण किया है. इसके अनुसार देश के शहरी क्षेत्र के लिए 579 रु. और ग्रामीण क्षेत्र के लिए 447 रु. प्रतिमाह की आमदनी को गरीबी रेखा का आधार माना जा सकता है.

हलफनामे के अनुसार, जून 2011 के मूल्य के आधार पर शहरी क्षेत्र में 965 रु. और ग्रामीण क्षेत्र में 781 रु. प्रतिमाह अर्थात 28 रुपए से थोड़ा अधिक कमाने वाले को गरीबी रेखा पर माना जा सकता है. जून 2011 की कीमत के आधार पर शहरी क्षेत्र में पांच सदस्यों के परिवार के लिए 4824 रु. और ग्रामीण क्षेत्र में 3905 रु. प्रतिमाह की आमदनी को गरीबी रेखा का पैमाना माना जा सकता है.

सुप्रीम कोर्ट ने गत 29 मार्च को 2004 के लिए निर्धारित मानदंडों के आधार पर वर्ष 2011 में गरीबी की रेखा से नीचे जीवन यापन करने वाले परिवारों का निर्धारण करने पर मनमोहन सरकार को आड़े हाथ लिया था. कोर्ट ने योजना आयोग की सिफारिशों के आधार पर गरीबी की रेखा से नीचे रहने वालों की आबादी 36 फीसद होने के सरकारी दावों पर सवाल उठाते हुए सरकार से इसका विवरण मांगा था. न्यायाधीशों का कहना था कि 2004 में दिहाड़ी मजदूरी 12 रु. और 17 रु. थी, लेकिन क्या आज यह वास्तविकता है. इतने पैसे में आज क्या होता है?

न्यायाधीशों का यह भी कहना था कि सरकारी कर्मचारियों के वेतन में भी साल में कम से कम दो बार बदलाव होता है, लेकिन गरीबी की रेखा से नीचे जीवन यापन करने के मानदंडों में सात साल में कोई बदलाव नहीं करना आश्चर्यचकित करने वाला है.

First Published: Wednesday, September 21, 2011, 17:01

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