Last Updated: Saturday, May 11, 2013, 10:48

नई दिल्ली : विधि मंत्री अश्विनी कुमार का राजनीति में उतार और चढाव काफी नाटकीय रहा है। पूर्व अतिरिक्त सॉलिसीटर जनरल अश्विनी मई 2002 में राज्यसभा के सदस्य निर्वाचित हुए इसके बाद वह सफलता की सीढियां चढते गए। पंजाब में गुरदासपुर के कुमार 2002 में उपरी सदन के लिए निर्वाचित होने से पहले अतिरिक्त सॉलिसीटर जनरल थे। 2004 और 2010 में उपरी सदन के लिए फिर से वह निर्वाचित हुए।
संसद में जाने के चार साल के भीतर 2006 में वह केंद्रीय मंत्री बने और उन्हें वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय में राज्य मंत्री का प्रभार दिया गया। उन्हें प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का करीबी माना जाता है और कोलगेट पर एजेंसी की मसौदा रिपोर्ट में बदलाव करने और सीबीआई निदेशक के साथ मुलाकात पर विवाद पैदा होने के बाद केंद्रीय मंत्रिमंडल से देर से उनकी विदाई में भी इस तथ्य ने कथित रूप से भूमिका निभाई।
वर्ष 2009 में संक्षिप्त समय के लिए वह कांग्रेस के प्रवक्ता भी रहे। बहरहाल, विवाद के बाद एआईसीसी प्रवक्ताओं की सूची से उनका नाम हटा दिया गया। अप्रैल 2010 में वह राज्यसभा के लिए फिर से चुने गए और संसदीय मामलों के मंत्रालय में राज्यमंत्री बने। जुलाई 2011 में वह आयोजना मंत्रालय, विज्ञान और तकनीकी मंत्रालय तथा पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय में राज्य मंत्री बनाए गए। वर्ष 2012 में वह सलमान खुर्शीद के स्थान पर विधि मंत्री बने। (एजेंसी)
First Published: Saturday, May 11, 2013, 10:48