Last Updated: Tuesday, February 12, 2013, 22:39
नई दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने जी टेलीविजन के खिलाफ दर्ज तीन प्राथमिकी निरस्त करने के लिये दायर याचिका पर आज केन्द्र सरकार और कांग्रेस सांसद नवीन जिन्दल से जवाब तलब किया है। जी समूह और उसके संपादकों के खिलाफ दिल्ली पुलिस ने ये प्राथमिकी दर्ज की हैं। इनमें जिंदल को आवंटित कोयला ब्लाक से संबंधित खबरें प्रसारित नहीं करने की एवज में कथित रूप से धन की मांग करने के आरोप में दर्ज प्राथमिकी भी शामिल है।
प्रधान न्यायाधीश अलतमस कबीर, न्यायमूर्ति अनिल आर दवे और न्यायमूर्ति विक्रमजीत सेन की खंडपीठ ने दिल्ली पुलिस को भी नोटिस जारी करके इन आरोपों पर जवाब मांगा है कि कथित रूप से जिंदल के इशारे पर उसने जी न्यूज के संपादकों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करके आपराधिक कार्यवाही शुरू की है। न्यायालय ने जिंदल स्टील और पॉवर लि को भी नोटिस जारी किया है। नवीन जिंदल इसके अध्यक्ष हैं।
जी की याचिका पर इन सभी को दो सप्ताह के भीतर नोटिस के जवाब देने हैं। न्यायालय इस याचिका पर अब चार सप्ताह बाद सुनवाई करेगा। जी समूह ने उसके खिलाफ चल रही आपराधिक कार्यवाही पर रोक लगाने का भी अनुरोध किया है।
न्यायलय ने जी समूह की एक अन्य याचिका पर भी इन सभी प्रतिवादियों को नोटिस जारी किये हैं। इस याचिका में जी न्यूज के कार्यक्रम में 16 दिसंबर के सामूहिक बलात्कार की घटना के चश्मदीद गवाह और हादसे की शिकार लड़की के मित्र की पहचान जाहिर करने के मामले में केन्द्र द्वारा कारण बताओ नोटिस जारी करने पर सवाल उठाया गया है। केन्द्र सरकार ने कारण बताओ नोटिस जारी करके पूछा था कि उसका लाइसेंस क्यों न रद्द कर दिया जाये।
जी समूह और इसके संपादक सुधीर चौधरी तथा समीर अहलूवालिया की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे और मनिन्दर सिंह ने आरोप लगाया कि दो अक्तूबर, 2012 और चार तथा 15 जनवरी को रद्द की गयी प्राथमिकी जिंदल और दिल्ली पुलिस के बीच हुयी ‘साजिश’ का नतीजा है। साल्वे और सिंह ने यह मामला दिल्ली पुलिस से लेकर किसी अन्य जांच एजेन्सी को स्थानांतरित करने का भी अनुरोध किया।
पहली प्राथमिकी जी समूह के सपांदकों द्वारा जिंदल की कंपनी से कथित रूप से उगाही के प्रयास से संबंधित स्टिंग आपरेशन के बारे में है। इस मामले में चौधरी और अहलूवालिया को 27 नवंबर से 17 दिसंबर तक जेल में रहना पड़ा था। दूसरी प्राथमिकी जी के एक कार्यक्रम प्रसारण में सामूहिक बलात्कार की शिकार लड़की के मित्र और चश्मदीद गवाह की पहचान सार्वजनिक करने के मामले में दर्ज की गयी है। तीसरी प्राथमिकी जिंदल स्टील एंड पॉवर लि की शिकायत पर दर्ज की गयी है। इसमें आरोप लगाया गया है कि कोयला ब्लाक आवंटन पर कार्यक्रम के प्रसारण में सीएजी की रिपोर्ट के अनुलग्नकों के रूप में मनगढंत दस्तावेज दिखाये गये हैं। साल्वे ने कहा कि दिल्ली पुलिस ने कथित रूप से जिंदल के इशारे पर ‘झुकाव वाली जांच’ की जिन्होंने सरकार में सत्तारूढ़ दल से अपने राजनीतिक संबंधों का इस्तेमाल किया। उन्होंने कहा, ‘‘चार महीने से किसी न किसी बहाने से याचिकाकर्ता के खिलाफ तीन प्राथमिकी दर्ज की गयी हैं। इसके अलावा जी न्यूज लि़.को जिंदल के नियंत्रण और प्रबंधन वाली जेएसपीएल कंपनी की शिकायतों के आधार पर सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय से नोटिस भी मिले हैं।’’
साल्वे ने कहा कि जेएसपीएल ने भारतीय प्रेस परिषद में भी एक शिकायत दायर की थी जिसमें पूर्व प्रधान न्यायाधीश जे एस वर्मा की अध्यक्षता वाली न्यूज ब्राडकास्टिंग स्टैण्डर्ड अथॉरिटी का जिक्र था। उन्होंने कहा कि इस संस्था के अध्यक्ष ने इस तथ्य का संज्ञान लिया था कि जिंदल ने इस मामले की सुनवाई से पहले टेलीफोन पर उनसे संपर्क करने का प्रयास किया था। न्यायमूर्ति वर्मा ने उनकी ओर से बिना शर्त लिखित माफी स्वीकार करने से इंकार कर दिया था। वरिष्ठ अधिवक्ता ने कहा कि पहली प्राथमिकी तो कपटपूर्ण तरीके से दर्ज की गयी थी। इसमें पुलिस की दुर्भावना का इसी तथ्य से पता चलता है कि उसने एक ऐसे अपराध की कूट रचना की जो भारतीय दंड संहिता में ही नहीं है।
याचिका में कहा गया है कि इस प्राथमिकी और जनता के दायरे में उपलब्ध दस्तावेज एक साथ पढ़ने से पता चलता है कि यह याचिकाकर्ता के न्यूज चैनल को धमकाने का एक और प्रयास है। याचिका के अनुसार गंभीर किस्म के आरोप लगाये गये हैं जिनके आधार पर दिल्ली पुलिस यह कार्यक्रम तैयार करने की प्रक्रिया में शामिल लोगों को हिरासत में लेने की मांग करते हुये एक बार फिर इनका उपयोग करेगी। (एजेंसी)
First Published: Tuesday, February 12, 2013, 22:39