Last Updated: Friday, September 27, 2013, 09:55
नई दिल्ली : संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) की 2जी स्पेक्ट्रम मामले से संबंधित विवादास्पद रिपोर्ट को शु्क्रवार को इसकी बैठक में मंजूर किया जा सकता है और अब सभी की नजरें जदयू, बसपा और सपा के सदस्यों पर हैं जिन्होंने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को क्लीनचिट देने वाली लेकिन पूर्व संचार मंत्री ए राजा को दोषी करार देने वाली रिपोर्ट का समर्थन करने के संबंध में अपना रख साफ नहीं किया है।
राकांपा द्वारा राजा को गवाह के रूप में बुलाने की मांग पर नरम पड़ने से सरकार को थोड़ी राहत जरूर मिली होगी। पार्टी ने कहा है कि वह इस विषय पर राजा को गवाह के तौर पर नहीं बुलाना चाहती।
जेपीसी में राकांपा के एक मात्र सदस्य वाई पी त्रिवेदी ने इस संबंध में कहा कि यह पार्टी की राय है। हमने जेपीसी में अपनी राय दर्ज करा दी है। हमने समिति को अपना रख बता दिया है। इससे पहले राकांपा ने भाजपा, वामदलों, द्रमुक और जदयू समेत अन्य विपक्षी दलों की तरह राजा को गवाह के तौर पर बुलाने की मांग की थी। हालांकि जदयू के सूत्रों ने कहा कि जेपीसी में उसके सदस्य संभवत: शु्क्रवार की बैठक में शामिल नहीं होंगे।
कांग्रेस को उम्मीद है कि समिति में दो सदस्यों वाली बसपा और एक सदस्य वाली सपा संप्रग के साथ रहेगी। लेकिन दोनों दलों ने अपना रख अभी तक साफ नहीं किया है। विपक्ष मसौदा रिपोर्ट को मंजूर करने के लिए मतदान की मांग कर सकता है। अगर जदयू के दो सदस्य बैठक में शामिल नहीं होते तो संप्रग के 11 और बसपा एवं सपा के 3 सदस्य मिलाकर 14 वोट होंगे और इस स्थिति में 30 सदस्यीय समिति की प्रभावी संख्या 28 होगी। विपक्ष ने हाल ही में समिति में राज्यसभा सदस्य अशोक एस गांगुली को नामित करने पर सरकार को आड़े हाथ लिया था।
विपक्ष के सदस्यों में भाजपा के 6, बीजद, तृणमूल कांग्रेस, माकपा, भाकपा, द्रमुक और अन्नाद्रमुक के 1-1 सदस्य हैं। जेपीसी में लोकसभा के 20 और राज्यसभा के 10 सदस्य हैं। (एजेंसी)
First Published: Friday, September 27, 2013, 09:55