Last Updated: Tuesday, January 22, 2013, 19:41
नई दिल्ली : टूजी स्पेक्ट्रम आवंटन की जांच कर रही संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) के समक्ष कैग के पूर्व आडिटर आर पी सिंह के बयान पर आज समिति में नाटकीय स्थिति देखने को मिली। कुछ सदस्यों ने जहां सिंह के दावों की विश्वसनीयता पर सवाल उठाया वहीं सिंह ने दावा किया कि अनुमानित नुकसान, लेखा संहिता का हिस्सा नहीं था सिंह ने टू जी स्पेक्ट्रम आवंटन में 1.76 लाख करोड़ रुपये के अनुमानित नुकसान के आंकड़ों पर सवाल उठाया था।
जेपीसी के समक्ष तत्कालीन महानिदेशक आडिट (डाक एवं दूरसंचार) रहे सिंह ने कहा कि अनुमानित नुकसान, लेखा संहिता का हिस्सा नहीं था और यह अंतरराष्ट्रीय स्तर पर स्वीकार्य है। सिंह ने कहा कि उन्होंने रिपोर्ट के मसौदे के एक पैराग्राफ से अनुमानित नुकसान को हटा दिया था क्योंकि वह तार्किक नहीं था लेकिन मुख्यालय ने अंतिम रिपोर्ट में बाद में इसे शामिल कर लिया।
कैग (भारत के नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक) के पूर्व अधिकारी ने जेपीसी को बताया कि उनसे एक शाम रिपोर्ट पर दस्तखत करने को कहा गया। फिर उनसे कहा गया कि वह अगली सुबह दस बजे तक इस रिपोर्ट को वित्त मंत्रालय और दूरसंचार मंत्रालय भेज दें। यशवंत सिन्हा द्वारा यह पूछने पर कि उन्होंने रिपोर्ट पर दस्तखत करने से इंकार क्यों नहीं किया, सिंह ने कहा कि उनके पास अपने वरिष्ठ अधिकारियों के आदेश का पालन करने के अलावा और कोई विकल्प नहीं था। (एजेंसी)
First Published: Tuesday, January 22, 2013, 19:41