Last Updated: Monday, April 15, 2013, 20:57

मुंबई : विशेष टाडा अदालत ने सोमवार को बॉलीवुड अभिनेता संजय दत्त की उस याचिका को खारिज कर दिया जिसमें उन्होंने अदालत की बजाय जेल अधिकारियों के समक्ष आत्मसमर्पण करने की अनुमति मांगी थी। दत्त को 1993 के मुंबई बम विस्फोट मामले में अवैध तरीके से हथियार रखने के लिए दोषी ठहराया गया था।
दत्त को उच्चतम न्यायालय के निर्देश के अनुसार 18 अप्रैल को टाडा अदालत के समक्ष आत्मसमर्पण करना है। उच्चतम न्यायालय ने हाल में शस्त्र अधिनियम के तहत उनकी दोषसिद्धि को बरकरार रखा था और उनकी सजा को छह साल से घटाकर पांच साल के कारावास में तब्दील कर दिया था। अभिनेता पहले ही 18 महीने जेल में बिता चुके हैं और उन्हें साढ़े तीन साल की सजा और काटनी है।
दत्त के वकील ने अदालत से जेल अधिकारियों के समक्ष आत्मसमर्पण करने की उन्हें स्वतंत्रता देने का मौखिक अनुरोध किया। हालांकि, विशेष टाडा न्यायाधीश जी ए सनाप ने प्रार्थना को खारिज करते हुए कहा कि आत्मसमर्पण में आरोपी की जांच और पहचान जैसी औपचारिकताएं पूरी करनी होती हैं।
इस बीच, अदालत ने तीन अन्य दोषियों मोहम्मद कासम लाजपुरिया, दादा शरीफ पारकर और इसाक हजवानी की प्रार्थना भी खारिज कर दी। इन लोगों ने खराब स्वास्थ्य का हवाला देते हुए आत्मसमर्पण करने के लिए और समय मांगा था। उच्चतम न्यायालय ने पिछले महीने फैसले में पारकर को सुनाई गई 14 साल के कारावास की सजा को बढ़ाकर जीवन पर्यंत कारावास की सजा सुनाई थी। वहीं, उसने हजवानी (85) की सजा भी बढ़ाकर आजीवन कारावास में तब्दील कर दी थी। पारकर पहले ही 14 साल जेल में बिता चुके हैं।
लाजपुरिया को 10 साल के सश्रम कारावास की सजा सुनाई गई थी। उन्हें अब भी अपनी सजा पूरी करनी है क्योंकि ज्यादातर समय वह जमानत पर रहे। (एजेंसी)
First Published: Monday, April 15, 2013, 20:57