Last Updated: Tuesday, July 24, 2012, 16:19

नई दिल्ली: बाघों के संरक्षण की दिशा में कदम उठाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने व्यवस्था दी है कि देश भर में बाघ अभयारण्यों के भीतरी इलाकों में कोई पर्यटन संबंधी गतिविधि नहीं होगी।
न्यायमूर्ति स्वतंत्र कुमार और न्यायमूर्ति इब्राहिम कलीफुल्ला की पीठ ने राज्यों को अपने अपने बाघ अभयारण्यों में बफर जोन अधिसूचित न करने पर उनके खिलाफ अवमानना की कार्रवाई करने और जुर्माना लगाने की भी चेतावनी दी है।
पीठ ने अपने आदेश में कहा है ‘हम यह साफ करते हैं कि इस अदालत से जब तक अंतिम आदेश जारी नहीं कर दिया जाता, तब तक बाघ अभयारण्य के भीतरी इलाकों का पर्यटन के लिए उपयोग नहीं किया जाएगा।’
सुप्रीम कोर्ट ने इस बात पर भी नाराजगी जताई कि उसके द्वारा पूर्व में चार अप्रैल और दस जुलाई को आदेश दिए जाने के बाद भी कई राज्यों ने अपने अपने अभयारण्यों में बफर जोन अधिसूचित नहीं किए हैं।
न्यायालय ने कहा कि अगर राज्यों ने तीन सप्ताह के अंदर उसके आदेश का पालन नहीं किया तो प्रत्येक पर 50,000 रूपये का जुर्माना किया जाएगा। यह राशि संबद्ध राज्य के मुख्य वन सचिव से वसूली जा सकेगी।
अपने आदेशों का पालन न करने के लिए न्यायालय ने आंध्रप्रदेश, अरूणाचल प्रदेश, तमिलनाडु, बिहार, महाराष्ट्र और झारखंड राज्यों पर दस दस हजार रूपये का जुर्माना भी किया है। (एजेंसी)
First Published: Tuesday, July 24, 2012, 16:19