Last Updated: Sunday, May 20, 2012, 07:30
नई दिल्ली : देश की प्रमुख इस्लामी संस्था बरेली मरकज ने कहा है कि कृत्रिम गर्भाधान के जरिए संतान सुख प्राप्त करना और किराए की कोख (सरोगेसी) का सहारा लेना इस्लामी नजरिए से नाजायज है।
बरेली मरकज के दारूल इफ्ता ने एक सवाल के जवाब में जो फतवा जारी किया है, उसमें मुसलमानों को कृत्रिम गर्भाधान और किराए की कोख से बचने की सलाह दी गई है। बरेली मरकज बरेलवी मुसलमानों की सबसे बड़ी संस्था है। दारूल इफ्ता के प्रमुख मुफ्ती कफील अहमद की ओर से जारी फतवे में कहा गया है, ‘इस्लाम में अप्राकृतिक ढंग से संतान सुख पाने की मनाही है। इंसानी रवायत में जो तरीके हैं, वही सही हैं। टेस्ट ट्यूब बेबी अथवा कृत्रिम गर्भाधान तथा सरोगेट मदर की बात नाजायज है।’
बरेली मरकज की ओर से जिस सवाल के जवाब में फतवा आया है, उसमें एक युवक ने पूछा था, ‘अगर कोई मुस्लिम दंपति किसी कारण से संतान सुख की प्राप्ति नहीं कर पा रहा है और वह बच्चा गोद भी नहीं लेना चाहता तो क्या वह कृत्रिम गर्भाधान का सहारा ले सकता है? सरोगेट मदर का सहारा लेना कितना जायज है?’
(एजेंसी)
First Published: Sunday, May 20, 2012, 13:00