Last Updated: Monday, July 30, 2012, 21:15
नई दिल्ली : टाट्रा मामले की जांच कर रही सीबीआई ने दावा किया है कि उसे वह महत्वपूर्ण दस्तावेज मिल गए हैं जिनसे जाहिर होता है कि बीईएमएल के शीर्ष अधिकारी इस उपक्रम के पास एक दशक से प्रौद्योगिकी उपलब्ध होने के बावजूद रविंदर ऋषि की फर्म से इस प्रौद्योगिकी को हासिल करते रहने पर जोर दे रहे थे।
सीबीआई सूत्रों ने बताया कि रिकार्डों से जाहिर होता है कि तत्कालीन मुख्य प्रबंध निदेशक वीआरएस नटराजन के कार्यकाल के दौरान 2003 में ऋषि की ही टाट्रा सिपोक्स यूके से अनुबंध का नवीनीकरण करते हुए, बीईएमएल अधिकारियों ने दावा किया था कि उनके पास इस अनुबंध पर हस्ताक्षर करने के अलावा कोई अन्य विकल्प नहीं है क्योंकि इसके पास एक ऐसी ‘एक्सल’ प्रौद्योगिकी है, जो टाट्रा ट्रकों की बिक्री के लिए एक खास बात है।
बीईएमएल अधिकारियों ने रक्षा मंत्रालय के साथ अपने पत्राचार में दावा किया था कि ऋषि ने ‘एक्सल’ प्रौद्योगिकी से जुड़ी कोई भी चीज आपूर्ति करने से इनकार कर दिया था, जिसके चलते इस फर्म से आपूर्ति समझौता जारी रखने के अलावा कोई अन्य विकल्प नहीं बचा था।
सूत्रों ने दावा किया कि सार्वजनिक उपक्रम रविन्दर ऋषि की फर्म के पास जिस प्रौद्योगिकी के होने का जिक्र कर रहा है, उसे संभवत: टाट्रा ने 1986 में बीईएमएल को प्रौद्योगिकी हस्तांतरण समझौते के तहत पहले ही सौंप दिया था। सीबीआई सूत्रों ने बताया कि जांच से इस बात का खुलासा हुआ कि बीईएमएल को अधिकांश डिजाइन 1991 में प्राप्त हुए थे, जिनमें एक्सल भी शामिल है। इस प्रौद्योगिकी ने टाट्रा ट्रकों को दुर्गम इलाकों से गुजरना आसान बना दिया था। हालांकि, अभी तक अधिकारी यह कह रहे थे कि ऋषि ने इसका स्वदेशीकरण करने से इनकार कर दिया था।
सूत्रों ने कहा कि बीईएमएल ने निर्धारित कार्यक्रम से तीन साल पहले ही 2003 में टाट्रा सिपोक्स यूके के साथ अनुबंध का नवीनीकरण कर दिया था। इस मामले में ऋषि और नटराजन ने किसी तरह की गड़बड़ी होने के आरोपों का खंडन करते हुए कहा था कि किसी नियम का उल्लंघन नहीं किया गया।
सूत्रों ने बताया कि जांच इस शक को दूर करने में सफल रही है कि बीईएमएल अधिकारी कथित तौर पर पूरा सच नहीं बता रहे हैं। (एजेंसी)
First Published: Monday, July 30, 2012, 21:15