Last Updated: Thursday, February 14, 2013, 00:39

नई दिल्ली : वीवीआईपी हेलीकाप्टर सौदे में घोटाले की बात सामने आने के बाद अगस्तावेस्टलैंड से तीन हेलीकॉप्टरों की अगले महीने होने वाली आपूर्ति को ठंडे बस्ते में डाल दिया गया है। इसके साथ ही बाकी छह हेलीकॉप्टरों की आपूर्ति भी ठंडे बस्ते में डाल दी गई है जिनकी आपूर्ति बाद में होनी थी। भारत को 12 हेलीकाप्टरों में से तीन हेलीकाप्टर पहले ही प्राप्त हो चुके हैं जिसके लिए 3600 करोड़ रुपये का सौदा वर्ष 2010 में हुआ था।
रक्षा मंत्रालय सू़त्रों ने यहां बताया कि भारत ने भुगतान की जाने वाली राशि में से करीब 30 प्रतिशत का भुगतान पहले ही कर दिया है लेकिन बाकी 2400 करोड़ रुपये के भुगतान पर सीबीआई जांच के परिणाम सामने आने तक रोक लगाये जाने की संभावना है। तीन एडब्ल्यू-101 हेलीकाप्टरों की पहली खेप गत महीने पालम हवाई अड्डे पर पहुंची थी जबकि तीन और हेलीकाप्टरों की अगली खेप मार्च तक आने की उम्मीद थी। भारत को बाकी राशि का भुगतान संबंधित खेपों के समय करना था।
रक्षा मंत्री ए के एंटनी ने आज कहा कि भारत को ‘‘इस स्तर पर भी अपना पैसा वापस मिल सकता है।’’ यह पूछे जाने पर कि क्या इतालवी कंपनी को दिए गए धन को भारत सरकार अब भी वापस मांग सकती है, एंटनी ने कहा, ‘‘यदि भारत सरकार ने इंटीग्रिटी पैक्ट (समझौते के तहत ईमानदारी से काम करने की संधि) के प्रावधानों के अनुरूप कोई भुगतान किया है तो हम विक्रेता को दिया गया पूरा धन वापस पा सकते हैं ।’’ इस बीच इतालवी जांच रिपोर्ट में यह बात सामने आयी है कि गुइदो हैस्के और क्रिश्चियन माइकल इस सौदे में मुख्य बिचौलिये थे और कुल 5.1 करोड़ यूरो की रिश्वत में से करीब 1.5 करोड़ यूरो का भुगतान भारतीय व्यक्तियों को किया गया।
इतालवी जांच के अनुसार वे कथित सौदे में मुख्य बिचौलिये थे। गत वर्ष अप्रैल में इतालवी और स्विट्जरलैंड के अधिकारियों ने हैस्के के कार्यालयों पर छापे मारे और उन्हें 24 घंटे के लिए गिरफ्तार कर लिया। बाद में उसे जमानत पर रिहा कर दिया गया। जांच रिपोर्ट में बिचौलियों के बीच हुई बातचीत की भी बात है जिसमें यह संकेत है कि रिश्वत की राशि कथित रूप से ट्यूनीशिया के जरिये भेजी गई। (एजेंसी)
First Published: Wednesday, February 13, 2013, 23:12