तिहाड़ में बने हर्बल गुलाल की भारी मांग

तिहाड़ में बने हर्बल गुलाल की भारी मांग

नई दिल्ली : एशिया की सबसे बड़ी तिहाड़ जेल के कैदियों द्वारा बनाए गए विभिन्न रंगों के हर्बल गुलाल की इस होली के त्योहार पर भारी मांग दिखाई दे रही है। तिहाड़ जेल के कैदियों द्वारा ही हर्बल गुलाल बनाया जाता है और इसकी पैकेजिंग की जाती है।

तिहाड़ जेल में पुनर्वास तथा सुधार कार्यक्रमों से जुड़े प्रमुख एनजीओ दिव्य ज्योति जागृति संस्थान की साध्वी जया भारती ने कहा, ‘‘हर्बल रंगों की मांग इस साल बढ़कर 1,00,000 इकाई तक पहुंच गई है। 2010 में जब रंगों का विनिर्माण शुरू हुआ था उस समय मांग सिर्फ 5,000 से 6,000 इकाई थी।’’ मक्के तथा आटे की माड़ी (स्टार्च) से बने हर्बल रंगों की मुख्य मांग कारपोरेट खरीदारों से आ रही है। राजधानी में 25 से 30 दुकानों पर तिहाड़ के रंगों की बिक्री की जा रही है।

तिहाड़ जेल के प्रवक्ता सुनील गुप्ता ने कहा, ‘‘हमें इस साल हर्बल रंगों की बिक्री के मोर्चे पर काफी उत्साह देखने को मिला है।’’ उन्होंने बताया कि जेल के मौजूदा कैदियों के अलावा रिहा हो चुके लोग साथ मिलकर हर्बल रंग बनाते हैं। जया भारती ने कहा कि उदाहरण के लिए एक व्यक्ति पैकिंग और हर्बल रंगों की आपूर्ति में जुटा है, तो दूसरा इन उत्पादों का विपणन कर रहा है। कोई इनकी बिक्री की देखरेख कर रहा है, तो कोई भंडारण की।

उन्होंने दावा किया ये सभी रंग हाथ के बने हैं और इनसे त्वचा पर कोई विपरीत असर नहीं होता। उन्होंने बताया कि इन रंगों में रसायन का इस्तेमाल बिल्कुल भी नहीं किया गया है। जया ने कहा कि रंगों की पैकेजिंग के लिए रिसाइकल्ड पेपर तथा वाटर साल्यूबल इंक का इस्तेमाल किया जाता है। ‘कलर्स आफ चेंज’ इन उत्पादों को बनाने के काम में 50 पुरुष और 38 महिला कैदी जुटी हैं।

कैदियों को इसके लिए तीन श्रेणियों के हिसाब से भुगतान किया जाता है। ये हैं अकुशल, अर्धकुशल तथा कुशल। जया ने कहा कि एक व्यक्ति को कम से कम एक दिन का 110 रुपये दिया जाता है। हालांकि, उत्पादन के हिसाब से उन्हें अतिरिक्त राशि भी दी जाती है। उन्होंने कहा कि हमारा मुख्य ध्यान उन्हें कौशल और रोजगार प्रदान करना है। वे बाद में भी इसका इस्तेमाल कर सकते हैं। (एजेंसी)

First Published: Tuesday, March 26, 2013, 16:15

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