तीन साल में नष्ट हुए 16386 टन खाद्यान्न

तीन साल में नष्ट हुए 16386 टन खाद्यान्न

तीन साल में नष्ट हुए 16386 टन खाद्यान्न
नई दिल्ली : सरकार ने मंगलवार को कहा कि पिछले तीन वर्षों के दौरान भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) में 16,386 टन खाद्यान्न नष्ट हो गए।

लोकसभा में विश्व मोहन कुमार, योगी आदित्यनाथ, कीर्ति आजाद, एसएस रामसुब्बू , पी. वेणुगोपाल, गणेश सिंह, प्रो. रंजन प्रसाद यादव, निशिकांत दुबे, लालजी टंडन, प्रहलाद जोशी सहित 38 सदस्यों के प्रश्न के लिखित उत्तर में उपभोक्ता मामलों, सार्वजनिक वितरण एवं खाद्य मंत्रालय में मंत्री प्रो. केवी थामस ने कहा कि भंडारण के दौरान कीटों के प्रकोप, गोदामों में लीकेज, खराब गुणवत्ता के स्टाक की खरीदारी, रखरखाव में लापरवाही, स्थान की कमी, भीगने एवं अन्य कारणों से भारतीय खाद्य निगम में खाद्यान्न नष्ट हुए।

मंत्री ने कहा कि भारतीय खाद्य निगम में 2009-10 में 6,702 टन, 2010-11 में 6,346 टन, और 2011-12 में 3,338 टन खाद्यान्न क्षतिग्रस्त या नष्ट हुए। इस अवधि में खाद्यान्नों के क्षतिग्रस्त होने के लिए 117 अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की गई।

थामस ने कहा कि 31 जुलाई 2012 तक निगम के पास उपलब्ध कुल भंडारण क्षमता 364.38 लाख टन थी। हालांकि एफसीआई एवं राज्य एजेंसियों के पास कुल मिलाकर उपलब्ध भंडारण क्षमता 705.73 लाख टन थी। सरकार ने कहा कि एक जुलाई 2012 तक केंद्रीय भंडार में गेहूं और चावल का भंडार क्रमश: 498.08 लाख टन और 307.08 लाख टन था। ढके गोदामों में 226.96 लाख टन और चबूतरे पर ढक कर 263.72 लाख टन गेहूं का भंडारण किया गया। चावल का भंडारण केवल ढके हुए गोदामों में होता है। जुलाई 2012 तक केंद्रीय भंडार में 307.09 लाख टन गेहूं उपलब्ध था। (एजेंसी)

First Published: Tuesday, August 14, 2012, 19:00

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