तीसरा गांधी पहुंचा महाराष्ट्र, सूखा जारी - Zee News हिंदी

तीसरा गांधी पहुंचा महाराष्ट्र, सूखा जारी

मुम्बई : कांग्रेस महासचिव राहुल गांधी शनिवार को एक दिवसीय दौरे पर महाराष्ट्र के सूखाग्रस्त सतारा जिले के गांवों में पहुंचे। राहुल अपने दिवंगत पिता व पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी और मां व कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के बाद सतारा पहुंचने वाले तीसरे गांधी हैं। लेकिन बीते दशकों में यहां कोई बदलाव नहीं आया है।

 

राहुल राज्य के मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण व अन्य वरिष्ठ मंत्रियों के साथ मुम्बई से एक हेलीकॉप्टर से सतारा पहुंचे। सतारा मुम्बई से दक्षिण-पूर्व में करीब 250 किलोमीटर की दूरी पर है। मई, 1987 में जब राजीव सूखाग्रस्त क्षेत्रों के दौरे पर पहुंचे थे तो उनके साथ चव्हाण की मां व पार्टी सांसद प्रमिलाताई चव्हाण थीं। अब राजीव और प्रमिलाताई दोनों ही नहीं हैं लेकिन दक्षिणी महाराष्ट्र के इस क्षेत्र में पानी की कमी अब भी वैसी ही बनी हुई है। साल 2003 में सोनिया ने भी इस क्षेत्र का दौरा किया था और उन्होंने सूखे से निपटने का स्थायी समाधान निकालने की उम्मीद जगा दी थी लेकिन जल्दी ही लोगों की सारी उम्मीदें बिखर कर रह गईं। अब जब राहुल दौरे पर पहुंचे हैं तो यहां के लोगों को तीसरी बार अपना भाग्य खुलने की उम्मीदें नजर आने लगी हैं।

 

राहुल ने शनिवार को अधिकारियों को निर्देश दिया, 'पानी देने का सिर्फ वादा न करें बल्कि इस वादे को अमलीजामा पहनाएं।' यहां की उच्च-स्तरीय यात्रा की उम्मीद कर रहे चव्हाण ने खुद भी पिछले महीने सतारा के सूखा-प्रभावित इलाकों का दौरा कर स्थितियों का जायजा लिया था। सतारा चव्हाण का गृह जिला है।

 

विडंबना यह है कि सतारा में ही महाराष्ट्र की सबसे बड़ी जल आपूर्ति योजना कोयना बांध है। यह बांध पनबिजली पैदा करने वाले देश के कुछ शीर्ष विद्युत स्टेशनों में से एक है। इसकी प्रतिवर्ष 2,960 मेगावाट बिजली बनाने की क्षमता है। लेकिन इससे मुश्किल से कुछ ही किलोमीटर की दूरी पर साल में आठ महीना पानी की भारी कमी रहती है। यहां के लोग मुख्य रूप से पानी के टैंकरों पर निर्भर रहते हैं या एक घड़ा शुद्ध जल के लिए कई किलोमीटर तक जाते हैं। यह क्षेत्र कभी छत्रपति शिवाजी के मराठा राज्य के वंशजों की समृद्ध राजधानी था।

यहां हर साल 140 सेंटीमीटर की औसत बारिश होती है लेकिन यह इलाका 'रेन शैडो' क्षेत्र में आता है। यह पश्चिमी घाटों के पूर्व में है, जहां मानसून में भारी बारिश होती है। लेकिन पहाड़ बारिश लाने वाली जलवायु को सतारा में पहुंचने से रोक देते हैं। पश्चिम के पहाड़ी इलाकों में 600 सेंटीमीटर वार्षिक वर्षा होती है लेकिन 'रेन शैडो' वाले मान उप-जिले में सालभर में मुश्किल से 60 सेंटीमीटर ही बारिश हो पाती है। इससे जिले में पानी की भारी कमी हो जाती है। यहां की दो प्रमुख नदियां कोयना व कृष्णा हैं। (एजेंसी)

First Published: Saturday, April 28, 2012, 19:17

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