तृणमूल को कांग्रेस का टका सा जवाब, `जाना चाहें तो जाएं`

तृणमूल को कांग्रेस का टका सा जवाब, `जाना चाहें तो जाएं`

तृणमूल को कांग्रेस का टका सा जवाब, `जाना चाहें तो जाएं`ज़ी न्यूज़ ब्यूरो
कोलकाता/नई दिल्ली : पश्चिम बंगाल कांग्रेस ने केंद्र में संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार में साझेदारी को लेकर तृणमूल की धमकियों पर रविवार को कहा कि पार्टी हालांकि तृणमूल को साथ रखना चाहती है, लेकिन यदि वह साथ छोड़ना चाहती है, तो कांग्रेस को कोई समस्या नहीं है। पश्चिम बंगाल कांग्रेस के अध्यक्ष प्रदीप भट्टाचार्य ने कहा कि हम तृणमूल को संप्रग में चाहते हैं, लेकिन यदि वह सरकार से समर्थन वापस ले लेती है तो वह ऐसा कर सकती है। इससे सरकार की स्थिरता पर कोई असर नहीं पड़ेगा।

भट्टाचार्य का बयान तृणमूल कांग्रेस के रविवार को यह कहे जाने के बाद आया है कि यदि संप्रग सरकार 72 घंटे के भीतर बहुब्रांड रिटेल में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) और डीजल मूल्य वृद्धि का फैसला वापस नहीं लेती तो उनकी पार्टी कड़े फैसले लेने को मजबूर होगी।

भट्टाचार्य ने कहा, `हम चाहते हैं कि तृणमूल मंत्रिमंडल और सरकार में बनी रहे। वे सरकार में रहते हुए विरोध कर सकते हैं और अपना प्रस्ताव रख सकते हैं। इसके लिए उन्हें सरकार छोड़ने की जरूरत नहीं है। बहुत समझाने-बुझाने के बाद भी यदि उन्होंने सरकार का साथ छोड़ने का निर्णय ले लिया है तो वे जा सकते हैं। हमें कोई समस्या नहीं है।`

उधर, नई दिल्ली में तृणमूल कांग्रेस ने रविवार को कहा कि अगर संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार 72 घंटे में बहुब्रांड रिटेल में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) का फैसला और डीजल मूल्य वृद्धि वापस नहीं लेती तो उनकी पार्टी कड़े फैसले लेने को मजबूर होगी। तृणमूल नेता और केंद्रीय शहरी विकास राज्य मंत्री सौगत रॉय ने कहा कि पार्टी प्रमुख ममता बनर्जी इस बारे में पार्टी की संसदीय दल की बैठक बुलाएंगी जिसमें अंतिम निर्णय लिया जाएगा। बनर्जी ने शुक्रवार को सरकार को इस मुद्दे पर 72 घंटे का अल्टीमेटम दिया था।

उल्लेखनीय है कि तृणमूल कांग्रेस संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन की दूसरी सबसे बड़ी घटक है। तृणमूल के लोकसभा में 19 सांसद हैं और संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन सरकार में उसके छह मंत्री हैं। शनिवार को पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने एक रैली में प्रधानमंत्री पर अप्रत्यक्ष रूप से हमला करते हुए कहा था, `हम सरकार को गिराने के पक्ष में नहीं हैं। लेकिन उन्हें लक्ष्मण रेखा का ध्यान रखना चाहिए। हम जनविरोधी फैसले को स्वीकार नहीं करेंगे।`

First Published: Sunday, September 16, 2012, 21:41

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