दामिनी के सिंगापुर शिफ्टिंग का त्रेहन ने किया बचाव

दामिनी के सिंगापुर शिफ्टिंग का त्रेहन ने किया बचाव

नई दिल्ली : जाने माने हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ. नरेश त्रेहन ने दिल्ली में सामूहिक बलात्कार की शिकार हुई 23 वर्षीय छात्रा को सिंगापुर भेजे जाने के फैसले का बचाव करते हुए कहा कि केवल लड़की की हालत स्थिर करने के लिए ऐसा किया गया और तत्काल किसी आंत प्रतिरोपण के लिए यह फैसला नहीं किया गया।

मेदांता मेडिसिटी के प्रबंध निदेशक डॉ. त्रेहन ने भी उस हवाई एंबुलेंस में आईसीयू लगाने में सहयोग दिया था जिसमें लड़की को सिंगापुर ले जाया गया था। त्रेहन ने कहा कि उन्होंने अपने कॅरियर में कभी इस तरह की जघन्यता नहीं देखी। त्रेहन ने कहा, ‘सफदरजंग अस्पताल के डॉक्टरों ने लड़की का हरसंभव श्रेष्ठ तरीके से इलाज किया। लड़की की आंत निकालनी पड़ी और सभी प्रार्थना कर रहे थे कि एक दिन वह आंत प्रतिरोपण की स्थिति में होगी।’ उन्होंने यह भी कहा कि जिस हालात में वह थी उसमें फिलहाल प्रतिरोपण की स्थिति नहीं थी।

त्रेहन ने कहा, ‘डॉक्टर हरसंभव श्रेष्ठ इलाज कर रहे थे। उसके बाद उन्होंने दीर्घकालिक प्रतिरोपण के केंद्रों के बारे में सोचा। अगर कोई पूछता है कि क्या विमान में ले जाते समय लड़की जीवित थी तो जवाब है हां।’ सफदरजंग अस्पताल में लड़की की जांच करने वाले त्रेहन ने कई बार कहा कि इस तरह के जघन्य अपराध को ‘दुर्लभ से दुर्लभतम से दुर्लभतम’ कहा जाना चाहिए और सरकार समेत सभी का ध्यान इसी चीज पर था कि दुनिया में कहीं भी लड़की का बेहतर से बेहतर इलाज हो सके।

लड़की के जीवित रहते उसकी सर्जरी करने के दिल्ली के एक अस्पताल के प्रस्ताव पर पूछे गए सवालों पर त्रेहन ने कहा, ‘हमने पहले एक आंत प्रतिरोपण किया है लेकिन अपराध की जघन्यता को देखते हुए उसे इसकी जरूरत नहीं थी। लोगों को बयान देते समय जिम्मेदारी बरतनी चाहिए।’ उन्होंने यह भी कहा कि लड़की को सिंगापुर भेजने का मतलब यह नहीं है कि भारत के अस्पतालों में सुविधाओं या अनुभवों की कमी है। उन्होंने कहा कि मेदांता अस्पताल की विशेषज्ञता के कारण वहां दुनियाभर के हृदय रोगी आते हैं जिनमें अमेरिका के भी हैं। (एजेंसी)

First Published: Friday, January 4, 2013, 17:44

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