Last Updated: Friday, July 5, 2013, 18:24
नई दिल्ली : राजधानी में 16 दिसंबर की रात चलती बस में 23 वर्षीय एक पैरामेडिकल छात्रा से सामूहिक बलात्कार और उसकी हत्या के मामले में एक नाबालिग आरोपी के खिलाफ किशोर न्याय बोर्ड की जांच आज पूरी हो गई जिसने 11 जुलाई तक के लिए फैसला सुरक्षित रख लिया है ।
प्रधान मजिस्ट्रेट गीतांजलि गोयल की अध्यक्षता वाले किशोर न्याय बोर्ड ने शुक्रवार को अपनी जांच पूरी कर ली । नाबालिग आरोपी के खिलाफ मार्च में जांच शुरू हुई थी । पुलिस ने दावा किया था कि सभी छह आरोपियों में ‘सबसे ज्यादा बर्बरता’ इस नाबालिग आरोपी ने ही की थी ।
पुलिस सूत्रों ने बताया कि मामले में अंतिम जिरह के बाद जेजेबी ने यह कहते हुए 11 जुलाई तक अपना फैसला सुरक्षित रख लिया कि अभियोजन और बचाव पक्ष जो स्पष्टीकरण देना चाहें, उस दिन दे सकते हैं ।
जेजेबी ने 16 दिसंबर 2012 की रात बस में सवार हुए बढ़ई रामाधार को लूटने से संबंधित मामले में भी नाबालिग आरोपी के खिलाफ जांच पूरी कर ली । रामाधार को लड़की और उसके पुरूष मित्र के साथ हुई बर्बर घटना से पहले बस से बाहर फेंक दिया गया था । लड़की की 29 दिसंबर को सिंगापुर के एक अस्पताल में मौत हो गई थी ।
उत्तर प्रदेश निवासी यह नाबालिग 11 वर्ष की उम्र में दिल्ली आया था जिसे यहां छोटे-मोटे काम मिले । यह किशोर मामले में गिरफ्तार छह आरोपियों में से एक है । किशोर के खिलाफ जांच जहां जेजेबी के समक्ष चली, वहीं चार वयस्क आरोपियों पर फास्ट ट्रैक अदालत में मुकदमा चलाया जा रहा है । मामले में प्रमुख आरोपी राम सिंह मार्च में तिहाड़ जेल में लटका पाया गया था और उसके खिलाफ कार्यवाही बंद हो गई ।
जांच के दौरान जेजेबी ने लड़की के पुरूष मित्र और बढ़ई सहित अभियोजन पक्ष के छह गवाहों के बयान दर्ज किए । सूत्रों ने बताया कि नाबालिग के वकील ने कहा था कि उसे आरोपों से जोड़ने के लिए कोई चिकित्सा साक्ष्य नहीं हैं और बस में फिंगर प्रिंट भी नहीं मिले जिससे उसे इस मामले से जोड़ा जा सके । बचाव पक्ष के वकील ने दावा किया था कि नाबालिग को पुलिस ने फंसाया है, जबकि न तो लड़की ने और न ही उसके पुरूष मित्र ने अपने प्रारंभिक बयानों में ऐसा कहा था ।
वकील ने कहा कि मामले में शिकायतकर्ता लड़की के पुरूष मित्र ने जेजेबी के समक्ष उसके खिलाफ गवाही तक नहीं दी । उन्होंने आरोप लगाया कि बस में बैठे छह आरोपियों में से एक के रूप में उसे पहचान लेने का दावा करने वाले रामाधार ने पुलिस के इशारे पर झूठी गवाही दी ।
जांच के दौरान बोर्ड द्वारा दर्ज किए गए बयान में किशोर ने खुद को निर्दोष बताया और आरोपपत्र में पुलिस द्वारा कही गई इस बात से इनकार किया कि सभी आरोपियों में वह ‘सबसे ज्यादा बर्बर’ था ।
उसने दावा किया था कि उसे खुद भी उसके नियोक्ता और प्रमुख आरोपी राम सिंह ने प्रताड़ित किया, जो उसके काम का वेतन नहीं देते थे । नाबालिग के अतिरिक्त मुकदमे का सामना कर रहे चार वयस्क आरोपी मुकेश, पवन गुप्ता, विनय शर्मा और अक्षय ठाकुर हैं । इन लोगों पर सामूहिक बलात्कार, हत्या, आपराधिक साजिश, अप्राकृतिक दुष्कर्म, लूटपाट और अन्य आरोप लगाए गए हैं । (एजेंसी)
First Published: Friday, July 5, 2013, 18:24