Last Updated: Wednesday, October 3, 2012, 23:24

नई दिल्ली : राष्ट्रीय स्वयं संघ के सरसंचालक मोहन राव भागवत ने आज कहा कि दुनिया की अर्थव्यवस्था विनाश की ओर जा रही है, इसलिये उसका अनुसरण करने से भारत को कोई लाभ नहीं होगा । घर परिवार से लेकर शासन प्रशासन तक स्वदेशी अर्थनीति लागू करने की जरूरत है। देश और दुनिया के सामने मौजूदा समय में अनेक चुनौतियां बताए हुए भागवत ने कहा कि ज्ञान और विज्ञान से जहां बहुत तेजी से विकास हुआ है, वहीं खराब लोगों के हाथ में पड़ने से इनका दुरुपयोग भी हुआ है।
संघ प्रमुख ने यहां दीनदयाल स्मृति व्याख्यान के तहत ‘भारतीयता और आधुनिक चुनौतियां’ विषय पर विचार रखते हुए कहा कि ज्ञान पर मूल्यों का नियंत्रण जरूरी है और आज यह दुनिया के विद्वानों में बहस का विषय है। उन्होंने कहा कि विज्ञान के हाथ में होने से सृष्टि और संसाधनों को वश में करने की लालसा को भारतीयता के माध्यम से समाप्त किया जा सकता है। भागवत ने कहा कि वैश्वीकरण के युग में ऐसी अनेक चुनौतियों का निदान भारत के पास है जिसमें अपने आपको शक्तिशाली बनाने के साथ दया अपनाना भी जरूरी है तथा खुद को सुखी बनाते हुए दूसरों का कल्याण करने का विचार है ।
संघ प्रमुख के मुताबिक भारतीयता की जब बात होती है तो उसमें हिंदुत्व और भारत की सनातन संस्कृति शामिल होती है। भागवत ने कहा कि देश में विकास दर जरा सी बढ़ने पर बढ़ा चढ़ाकर दिखाया जाता है लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और होती है। विकास के नाम पर पर्यावरण से समझौता और लोगों के परंपरागत आवासों को उजाड़ने से असंतोष फैलता है और जिससे आतंकवाद तथा कट्टरता जन्म लेते हैं।
संघ प्रमुख ने कहा भारत प्रभुत्व जमाकर नहीं बल्कि बंधुत्व के साथ और विश्व बाजार नहीं बल्कि विश्व परिवार के विचार के साथ दुनिया को नई राह दिखा सकता है। कार्यक्रम में राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे सिंधिया, भाजपा नेता अनंत कुमार, बलबीर पुंज और विजय गोयल के साथ जदयू अध्यक्ष शरद यादव समेत कई लोग मौजूद थे। (एजेंसी)
First Published: Wednesday, October 3, 2012, 23:24