Last Updated: Tuesday, November 27, 2012, 17:38
नई दिल्ली : दूध में यूरिया तथा अन्य हानिकारक रसायन मिलने संबंधी खबरें बार बार आने के बीच सरकार ने आज संसद में स्वीकार किया कि देश में वर्ष 2011 के दौरान 68.4 प्रतिशत नमूने मानकों के अनुरूप नहीं पाये गये। सरकार ने माना कि भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण द्वारा दूध की गुणवत्ता का पता लगाने के लिए किये गये राष्ट्रीय सर्वेक्षण में 68.4 प्रतिशत नमूने मानकों के अनुरूप नहीं पाये गये। हालांकि इनमें से कोई भी नमूना सेहत के लिहाज से असुरक्षित नहीं था।
स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण राज्य मंत्री अबु हसन खान चौधरी ने बताया कि इन नमूनों को खाद्य सुरक्षा और मानक विनियमन 2011 के अनुरूप नहीं पाया गया। उन्होंने सी एम रमेश के सवाल के लिखित जवाब में राज्यसभा को यह जानकारी दी। उन्होंने कहा कि निर्धारित मानकों की अनुरूपता संबंधी कारणों में दूध में पानी मिलाना, वसा और सालिड नाट फैट के कारण विचलन तथा स्कीम्ड दूध पाउडर और ग्लूकोज शामिल हैं।
स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री गुलाम नबी आजाद ने एक अन्य सवाल के लिखित जवाब में बताया कि एक अप्रैल 2011 से 31 अक्तूबर 2012 तक राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली में एकत्रित दूध के 199 नमूनों में से 31 नमूनों में मिलावट पाई गई थी।
उन्होंने बताया कि राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार से मिली सूचना के अनुसार 31 अक्तूबर 2012 तक राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली में एकत्रित दूध के 199 नमूनों की जांच की गई। इनमें से 31 नमूनों में खाद्य सुरक्षा एवं मानक अधिनियम और इसके अधीन बने नियमों के प्रावधानों का उल्लंघन पाया गया। आजाद ने मोहम्मद अदीब के प्रश्न के लिखित उत्तर में बताया कि सभी 31 मामलों में अभियोजन शुरू कर दिया गया है। (एजेंसी)
First Published: Tuesday, November 27, 2012, 17:38