Last Updated: Sunday, April 28, 2013, 13:32
नई दिल्ली : देश में अभी भी शिक्षकों के 6. 96 लाख रिक्त पदों में आधे से अधिक बिहार एवं उत्तरप्रदेश में है। देश में शिक्षकों के कुल रिक्त पदों में बिहार और उत्तरप्रदेश का हिस्सा 52.29 प्रतिशत है। मानव संसाधन विकास मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, देश भर में प्राथमिक शिक्षा के स्तर पर शिक्षकों के तीन लाख पद रिक्त हैं।
बिहार में शिक्षकों के 2.05 लाख पद रिक्त हैं। छह से 14 वर्ष के बच्चों को नि:शुल्क एवं अनिवार्य शिक्षा का अधिकार प्रदान करने की पहल के तहत बिहार में शिक्षकों के 1,90,337 पद मंजूर किये गए। राज्य में अभी भी 49.14 प्रतिशत स्कूलों में लड़के और लड़कियों के लिए अलग शौचालय नहीं हैं।
उत्तरप्रदेश में शिक्षकों के 1.59 लाख पद रिक्त है। शिक्षा का अधिकार प्रदान करने की पहल के तहत 3,94,960 पद मंजूर किये गए। राज्य में 81.07 प्रतिशत स्कूल ऐसे हैं जहां लड़के और लड़कियों के लिए अलग शौचालय की सुविधा उपलब्ध है।
सरकारी आंकड़ों के अनुसार, पश्चिम बंगाल में शिक्षकों के 61,623 पद रिक्त हैं, जबकि झारखंड में 38,422, मध्यप्रदेश में 79,110, महाराष्ट्र में 26,704 और गुजरात में 27,258 शिक्षक पद रिक्त हैं।
शिक्षा का अधिकार प्रदान करने की पहल के तहत पश्चिम बंगाल में शिक्षकों के 2,64,155 पद, झारखंड में 69,066 पद, मध्यप्रदेश में 1,86,210 पद और गुजरात में 1,75,196 पद मंजूर किये गए हैं।
सभी बच्चों को गुणवत्तापूर्ण प्राथमिक शिक्षा उपलब्ध कराने के मार्ग में शिक्षकों की कमी के आड़े आने पर संसद की स्थायी समिति ने गंभीर चिंता व्यक्त की है।
शिक्षा के अधिकार के तहत स्कूली आधारभूत संरचना में शौचालयों का विकास महत्वपूर्ण मापदंड बताये गए हैं। पश्चिम बंगाल में 52.20 प्रतिशत स्कूल ही ऐसे हैं जहां लड़के और लड़कियों के लिए अलग अलग शौचालय हैं।
असम में 52.13 प्रतिशत, दिल्ली में 98.67 प्रतिशत, हरियाणा में 87.43 प्रतिशत, कर्नाटक में 97.87 प्रतिशत स्कूल, ओडिशा में 38.54 प्रतिशत, राजस्थान में 75.38 प्रतिशत और तमिलनाडु में 64 प्रतिशत स्कूलों में लड़के और लड़कियों के लिए अलग अलग शौचालय की व्यवस्था है। मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक, देश के 35 प्रतिशत स्कूलों में लड़के और लड़कियों के लिए अलग अलग शौचालय की व्यवस्था नहीं है। हालांकि, 94.26 प्रतिशत स्कूलों में पेयजल सुविधा है।
शिक्षा के अधिकार कानून के तहत यह व्यवस्था बनायी गई है कि केवल उन लोगों की शिक्षकों के रूप में नियुक्ति की जायेगी जो शिक्षक पात्रता परीक्षा (टीईटी) उत्तीर्ण होते हैं।
मंत्रालय के प्राप्त जानकारी के मुताबिक, गोवा, जम्मू कश्मीर, कर्नाटक, मेघालय, मिजोरम, नगालैंड, त्रिपुरा और सिक्किम जैसे राज्यों में अभी तक शिक्षक पात्रता परीक्षा नहीं ली गई है। सीबीएसई ने तीन बार सीटीईटी परीक्षा ली और 25 राज्यों ने भी टीईटी आयोजित की है।
शिक्षक पात्रता परीक्षा जून 2011 में बैठने वालों में केवल 7.59 प्रतिशत पास हुए जबकि जनवरी 2012 में 6.43 प्रतिशत और नवंबर 2012 में 0.45 प्रतिशत उत्तीर्ण हुए।
गौरतलब है कि देशभर में सरकार, स्थानीय निकाय एवं सहायता प्राप्त स्कूलों में शिक्षकों के 45 लाख पद हैं। शिक्षा का अधिकार कानून के तहत 2012.13 में सर्व शिक्षा अभियान के तहत 19.82 लाख पद मंजूर किये गए हैं और 31 दिसंबर 2012 तक 12.86 लाख पद भरे गए। (एजेंसी)
First Published: Sunday, April 28, 2013, 13:32