Last Updated: Saturday, September 7, 2013, 19:34
नई दिल्ली : गृह मंत्री सुशील कुमार शिन्दे ने आज माना कि देश में सांप्रदायिक हिंसा की घटनाओं में बढोतरी हुई है। उन्होंने सभी राज्यों को आगाह किया कि वे ‘अलर्ट’ रहें और आगामी आम चुनावों से पहले शांति बाधित करने के किसी भी प्रयास को विफल कर दें।
शिन्दे ने यहां संवाददाताओं से कहा, ‘पिछले साल से सांप्रदायिक हिंसा की घटनाएं बढी हैं। देश में पिछले साल जहां ऐसी 410 वारदात हुई’, वहीं इस साल अब तक 451 वारदात हो चुकी हैं।’ उन्होंने कहा कि सभी राज्यों को ‘अलर्ट’ कर दिया गया है और उन्होंने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव से व्यक्तिगत रूप से बात कर इस विषय पर उनसे चर्चा की है।
कैबिनेट सचिव अजित सेठ ने कल सभी राज्यों को निर्देश दिया था कि वे सांप्रदायिक हिंसा की घटनाओं से मजबूती से निपटें। सेठ ने चेतावनी दी थी कि सांप्रदायिक ध्रुवीकरण आम चुनावों से पहले देश के सामाजिक ताने बाने को ध्वस्त कर सकता है। सेठ ने उत्तर प्रदेश, बिहार, राजस्थान, मध्य प्रदेश, कर्नाटक, हरियाणा और जम्मू कश्मीर के मुख्य सचिवों और पुलिस महानिदेशकों से कहा है कि वे खुफिया जानकारी एकत्र करने के तंत्र को मजबूत कर और एहतियातन गिरफ्तारियों के जरिए सांप्रदायिक हिंसा की किसी भी घटना को रोकने के लिए पूरी तरह तैयार रहें।
सरकारी सूत्रों ने बताया कि प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह पिछले कुछ महीनों में सांप्रदायिक हिंसा की घटनाओं में बढोतरी से बहुत चिन्तित हैं। सिंह के निर्देश पर ही सेठ ने बैठक बुलायी थी। ऐसी एक घटना की सूचना अगस्त में बिहार के नवादा से आयी, जहां दो लोगों की मौत हो गयी और 22 अन्य घायल हो गये। उत्तर प्रदेश के शामली और जम्मू कश्मीर के किश्तवाड से सांप्रदायिक हिंसा की कुछ अन्य घटनाओं की खबरें आयीं।
सूत्रों ने बताया कि केन्द्रीय गृह सचिव अनिल गोस्वामी और केन्द्र के अन्य वरिष्ठ अधिकारी भी सेठ द्वारा बुलायी गयी बैठक में शामिल हुए। सेठ ने मुख्य सचिवों और पुलिस महानिदेशकों से कहा कि कुछ हिस्सों में सांप्रदायिक ध्रुवीकरण की खबरें हैं और इसे तत्काल रोकने की आवश्यकता है अन्यथा देश का सामाजिक ताना बाना ध्वस्त हो सकता है।
केन्द्र सरकार के वरिष्ठ अधिकारियों ने आगाह किया है कि आने वाले दिनों में ऐसी घटनाएं बढ सकती हैं और 2014 के आम चुनावों से पहले सांप्रदायिक हिंसा की वारदात होने की आशंका है। सूत्रों के मुताबिक राज्यों से कहा गया है कि वे ऐसी हिंसा की वजहों का विश्लेषण कर रोडमैप तैयार करें कि इनसे कैसे निपटा जा सकता है और क्या सुधारात्मक कदम उठाये जा सकते हैं ताकि भविष्य में कोई छोटी घटना सांप्रदायिक रंग न लेने पाये, जैसा पूर्व में देखने को मिला है। (एजेंसी)
First Published: Saturday, September 7, 2013, 19:34