Last Updated: Thursday, September 27, 2012, 23:11

नई दिल्ली : राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सर संघसचालक मोहन भागवत ने आज यहां कहा कि इस वक्त देश में विश्वास का संकट है और विश्वसनीय लोग नजर नहीं आ रहे हैं। एक किताब के विमोचन पर भागवत ने कहा, ‘इस वक्त देश में विश्वास का संकट है और विश्वासपात्र लोग दृष्टि में नहीं है। आम लोगों में अच्छाई है और यही देश का भला करेगी और विश्वशक्ति बनाएगी। भारतीयों ने बार-बार साबित किया है कि दुनिया में अच्छा बनने का भारत के अलावा कोई उपाय नहीं है।’
उन्होंने कहा, ‘आजादी के बाद हमने समग्र दृष्टि बनायी ही नहीं और आत्म सामर्थ्य पर विश्वास ही नहीं किया। व्यवस्था के ढर्रे में बदलाव जरूरी है और इसके लिए प्रजातंत्र में जनमत बेहद प्रभावशाली होता है।’ उन्होंने कहा, ‘राजनीति और राजनीतिज्ञों का महत्व बेहद बढ़ गया है, जबकि समाज के गुणों का उत्थान बेहद जरूरी है। ऐसा लगता है कि सब कुछ डूब रहा है, लेकिन वहां (राजनीति में) भी कुछ अच्छे लोग हैं।’
उन्होंने कहा, ‘धारा का नहीं बल्कि दिशा का महत्व है, क्योंकि सभी धाराओं को अंतत: महासागर में मिलना है। निस्वार्थ तरीके से सोचने वालों की धाराओं से नहीं बल्कि उनकी दिशा देश कल्याण की होना बेहद जरूरी है।’ भागवत ने कहा, ‘समाज का मन बन जाए तो सर्वत्र परिवर्तन आने में देर नहीं लगेगी। अगर देश के लिए सोचने वाले एक दिशा में सोचते हैं और अपने निष्कर्ष निकालते हैं तो देश अवश्य एक दिन अच्छी महाशक्ति बनेगा और ऐसी महाशक्ति नहीं जैसी हमने पिछले 500 सालों में देखी है।’ (एजेंसी)
First Published: Thursday, September 27, 2012, 23:11