दोषी ठहराये गये MP और MLA रहेंगे बरकरार, लेकिन नहीं दे पाएंगे वोट

दोषी ठहराये गये MP और MLA रहेंगे बरकरार, लेकिन नहीं दे पाएंगे वोट

दोषी ठहराये गये MP और MLA रहेंगे बरकरार, लेकिन नहीं दे पाएंगे वोटनयी दिल्ली : दोषी ठहराये गये सांसदों और विधायकों को तत्काल अयोग्य करार देने के बारे में उच्चतम न्यायालय के दो फैसलों को उलटने के लिए केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने गुरुवार को प्रस्तावों को मंजूरी दी, जिनमें जेल में बंद लोगों को चुनाव लड़ने की अनुमति दी गयी है और दोषी ठहराए गए सांसदों तथा विधायकों की अपील लंबित रहने तक उनकी सदस्यता बरकरार रहेगी। हालांकि, उनके मतदान और वेतन लेने पर पाबंदी होगी।

सूत्रों ने बताया कि जन प्रतिनिधित्व कानून को संशोधनों के प्रारूप में दोनों प्रस्तावों को मंजूरी दी गयी और संसद में अगले सप्ताह अलग अलग विधेयक पेश किये जाएंगे। एक संशोधन के अनुसार कोई सांसद, विधायक या विधान परिषद सदस्य दोषी ठहराये जाने की तारीख से 90 दिन के भीतर अपील दायर करते हैं और इसके बाद दोषी ठहराये जाने के फैसले पर रोक लगाई जाती है तो उन्हें दोषी ठहराये जाने के बाद अयोग्य करार नहीं दिया जा सकता।

जन प्रतिनिधित्व कानून की धारा-8 की उपधारा-4 में एक प्रावधान जोडा गया है जो स्पष्ट करता है कि दोषी ठहराये गये सांसद और विधायक संसद या विधानसभाओं की कार्यवाही में हिस्सा लेते रहेंगे लेकिन अपील पर अदालत के फैसले तक न तो उन्हें मतदान का अधिकार होगा और न ही वेतन भत्ते लेने का।

कानून मंत्रालय के एक शीर्ष अधिकारी ने कहा कि इस तरह की याचिकाओं से निपटते समय उच्चतम न्यायालय की यही व्यवस्था होती है। उच्चतम न्यायालय ने जो कहा कि उसे कानून में शामिल कर लिया गया है।

कैबिनेट ने एक और संशोधन को मंजूरी प्रदान की है जिसमें जन प्रतिनिधित्व कानून की धारा 62 की उपधारा (2) में एक प्रावधान जोड़ा है जो कहता है कि हिरासत में रहते हुए किसी को मतदान से नहीं रोका जा सकता क्योंकि उसके अधिकार अस्थाई तौर पर ही निलंबित होते हैं। जन प्रतिनिधित्व कानून में संशोधनों के रूप में आने वाले इस प्रस्ताव से सुनिश्चित होगा कि यदि दोषी ठहराये गये किसी सांसद या विधायक की अपील अदालत में विचाराधीन है और उसकी सजा पर स्थगनादेश मिल गया है तो उसे सदस्यता से अयोग्य नहीं ठहराया जा सकता।

कानून मंत्रालय ने प्रस्ताव किया है कि जन प्रतिनिधित्व कानून में संशोधन दस जुलाई 2013 से प्रभावी होगा, जिस दिन उच्चतम न्यायालय ने दोषी ठहराये गये सांसदों और विधायकों के लिए ऐतिहासिक फैसला सुनाया था। दरअसल, उच्चतम न्यायालय के फैसलों के खिलाफ सभी राजनीतिक दल एकजुट हो गये और सभी चाहते थे कि फैसले को संसद में विधेयक लाकर पलटा जाए। (एजेंसी)


First Published: Thursday, August 22, 2013, 23:06

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