Last Updated: Friday, September 20, 2013, 18:35

नई दिल्ली : सांप्रदायिक संघर्षों की हालिया घटनाओं पर चिंता जताते हुए राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने आज कहा कि देश ने इतिहास से सबक नहीं सीखा है और कुछ दुखद गलतियां दोहराई जा रहीं हैं।
राष्ट्रपति ने राष्ट्रीय सांप्रदायिक सद्भावना पुरस्कार प्रदान करने के बाद कहा, ‘ऐसा क्यों है कि हम अपने इतिहास से सबक नहीं लेते बल्कि उसी तरह की दुखदायी गलतियां दोहराते रहते हैं।’ उन्होंने कहा कि संविधान में प्रत्येक नागरिक का यह नैतिक कर्तव्य निर्धारित है कि धार्मिक, भाषाई और क्षेत्रीय या वर्गीय विविधताओं से परे सभी लोगों के बीच सद्भावना और भाईचारे की भावना को प्रोत्साहित किया जाए।
प्रणब ने कहा, ‘इस पावन दायित्व के बावजूद, राज्य नीति के नीति निर्धारक सिद्धांतों के बावजूद और हमारे कानून में प्रदत्त सुरक्षा मानकों के बावजूद, हमारे प्रशासनिक तंत्र द्वारा उठाये गये सभी कदमों के बावजूद आखिर यह सांप्रदायिकता हमारे समाज से दूर क्यों नहीं हो पाती?’ राष्ट्रपति ने कहा कि देश की कोई संस्था नफरत नहीं फैलाती, कोई धर्म फूट नहीं डालता, बल्कि इसके विपरीत वे निर्दिष्ट करते हैं कि प्रत्येक नागरिक और पूरे समाज की शांति और मित्रता का प्रसार करने की नैतिक जिम्मेदारी हो।
उन्होंने कहा, ‘हम इसे लागू करने के लिए क्या कर सकते हैं? हम नकारात्मक ताकतों के खिलाफ और अधिक सतर्क कैसे हो सकते हैं और सफलतापूर्वक उनकी जघन्य सोच को कैसे पराजित कर सकते हैं।’ प्रणब ने कहा कि भारतीय समाज की ताकत और लचीलापन इसके बहुलवाद और विविधता में निहित है और यह अद्वितीय गुण कहीं से लाया नहीं गया ना ही यह अचानक से हमारे समाज में आया है। बल्कि इसे भारतीय चेतना की सहनशीलता और विवेक ने सुविचारित रूप से पाला पोषा है। (एजेंसी)
First Published: Friday, September 20, 2013, 18:31