Last Updated: Sunday, October 9, 2011, 11:54
नयी दिल्ली: नक्सलियों के बढ़ते हमलों के मद्देनजर सुरक्षा एजेंसियों ने इस बात का पता लगाने के लिए जांच शुरू कर दी है कि कहीं उद्योगों के इस्तेमाल के लिए दिए जाने वाले विस्फोटकों को तस्करी के जरिए माओवाद प्रभावित राज्यों में नक्सलियों तक तो नहीं पहुंचाया जा रहा है.
आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि छत्तीसगढ़, झारखंड, उड़ीसा और बिहार में चल रहे अनेक उद्योग पेट्रोलियम एंड एक्सप्लोसिव सेफ्टी आर्गनाइजेशन (पीईएसओ) से लाइसेंस लेने के बाद औद्योगिक गतिविधियों में विस्फोटकों का इस्तेमाल करते हैं.
सुरक्षा एजेंसियों को लंबे समय से संदेह रहा है कि उद्योगों द्वारा खरीदे गए वैसे विस्फोटक जिनका इस्तेमाल नहीं किया गया हो वे नक्सलियों तक या तो चोरी छिपे पहुंचाए जा रहे हैं अथवा उन्हें डरा धमका कर हासिल किया जा रहा है.
एक सूत्र ने बताया, ‘‘यह बेहद गंभीर मुद्दा है. हमें संदेह है कि तस्करी किए गए ज्यादातर विस्फोटकों का इस्तेमाल नक्सल विरोधी अभियानों में शामिल पुलिस बलों को निशाना बनाने के लिए किया जा रहा है. इसलिए, हमने जांच का आदेश दिया है.’’ सूत्रों ने बताया कि इस बात को जानने के लिए कोई उचित तंत्र नहीं है कि किसी खास विस्फोट में कितने विस्फोटकों का इस्तेमाल किया जाता है. इसलिए अगर कोई उद्योग यह दावा करता है कि वह एक महीने में 100 किलोग्राम विस्फोटकों का इस्तेमाल करता है तो इस बात का पता लगाने का कोई तरीका नहीं है कि उस इकाई ने उतने विस्फोटकों का इस्तेमाल किया.
जारी सूत्रों ने बताया कि इस बात की भी संभावना है कि नक्सल क्षेत्र में संचालित उद्योगों को धमकाया जा रहा हो और इस्तेमाल नहीं किए गए विस्फोटकों को माओवादियों को दिया जा रहा हो या वास्तविक जरूरत से अधिक विस्फोटक खरीदे जा रहे हों. पूर्व में कई विस्फोटक भंडार नक्सल प्रभावित इलाकों में नक्सली हमले का शिकार हो चुके हैं. इसी तरह की खदान पर उड़ीसा के दमनजोड़ी में नक्सलियों ने 2009 में हमला किया था जिसमें 10 सीआईएसएफ जवान मारे गए थे. इसी तरह का हमला छत्तीसगढ़ के किरंडुल इलाके में भी हुआ है. किरंडुल अशांत दंतेवाड़ा जिले में है.
सूत्र ने बताया, ‘‘अगर जांच में पता चला कि उद्योगों के इस्तेमाल के लिए दिया गया विस्फोटक तस्करी के जरिए नक्सलियों को दिया गया तो सुरक्षा एजेंसियां ऐसी औद्योगिक इकाइयों के खिलाफ कार्रवाई करेंगी जैसा कुछ कॉरपोरेट अधिकारियों के खिलाफ कथित तौर पर फिरौती की रकम देने के मामले में किया गया था.’’
First Published: Monday, October 10, 2011, 12:35