नक्सली हमले की वाम दलों ने की निंदा

नक्सली हमले की वाम दलों ने की निंदा

नई दिल्ली : वाम दलों ने छत्तीसगढ़ में हुए नक्सली हमले की निंदा करते हुए सोमवार को कहा कि वे राजनीतिक विरोधियों से हिंसक प्रतिशोध की किसी भी कार्रवाई को नामंजूर करते हैं। वाम दलों ने हालांकि निर्दोष आदिवासियों की हत्या और उन पर हो रहे अत्याचार का विरोध किया।

माकपा पोलितब्यूरो ने अपने बयान में कहा कि यह हिंसा की राजनीति का सबसे ताजा और चौंकाने वाला तथा नक्सलियों द्वारा अपने सभी राजनीतिक विरोधियों पर की जा रही आतंकी कार्रवाई का एक उदाहरण है।

कांग्रेस यात्रा के लिए सुरक्षा इंतजामों में कमी को लेकर छत्तीसगढ़ सरकार की आलोचना करते हुए माकपा ने कहा कि एक ओर भाजपा सरकार निर्दोष आदिवासियों की हत्या होने देती है, जैसा कि पिछले सप्ताह नक्सलियों से निपटने के नाम पर किया गया और दूसरी ओर वह राज्य में वैध लोकतांत्रिक गतिविधियों के लिए सुरक्षा मुहैया कराने में पूरी तरह नाकाम रहती है।

पार्टी ने मांग की कि नक्सली हिंसा के खिलाफ कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए। माकपा ने सभी लोकतांत्रिक ताकतों से मांग की कि वे उग्रवादियों की हिंसा की राजनीति का मुकाबला करें।

उधर भाकपा ने अपने बयान में राजनीतिक विरोधियों के खिलाफ आतंक और हिंसा को नामंजूर करते हुए कहा कि यह सच्चाई है कि मारे गये कुछ कांग्रेस नेता सल्वा जुडूम के संस्थापक थे। यह वह कुख्यात संगठन है जिसका इस्तेमाल आदिवासियों को विभाजित करने के लिए किया गया।

भाकपा के केन्द्रीय सचिवालय ने कहा, ‘लेकिन इसका यह मतलब नहीं है कि नक्सलियों को हिंसा और आतंक फैलाने का अधिकार मिल गया है।’

पार्टी ने केन्द्र और राज्य सरकारों से मांग की कि वे आदिवासियों की वाजिब चिन्ताओं का समाधान करें । छत्तीसगढ़ में सप्ताह भर पहले आठ आदिवासियों के मारे जाने और फिर शनिवार को नक्सलियों के हमले पर चिन्ता व्यक्त करते हुए भाकपा-माले ने कहा कि लोकतांत्रिक आंदोलन और राजनीतिक निश्चय से हटकर नक्सलियों की इस तरह की सैन्यवादी कार्रवाई को प्रतिशोध का तर्क देकर न्यायोचित नहीं ठहराया जा सकता। (एजेंसी)

First Published: Monday, May 27, 2013, 19:57

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