Last Updated: Thursday, May 3, 2012, 13:10
नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट
ने शीर्ष नक्सल नेता चेरूकुरी राजकुमार उर्फ आजाद और दिल्ली के पत्रकार हेमचंद्र पांडेय की कथित तौर पर फर्जी मुठभेड़ में हत्या के मामले में न्यायिक जांच या विशेष जांच दल (एसआईटी) से जांच कराने का आदेश देने से गुरुवार को इनकार कर दिया।
न्यायमूर्ति आफताब आलम और न्यायमूर्ति सीके प्रसाद की पीठ ने कहा कि इन आरोपों पर विश्वास करने का कोई कारण नहीं है कि सीबीआई द्वारा मुठभेड़ की जांच ‘ईमानदारी’ से नहीं की गई। पीठ ने सीबीआई को निर्देश दिया कि वह अपनी जांच रिपोर्ट आंध्र प्रदेश के आदिलाबाद जिले में संबद्ध मजिस्ट्रेट के समक्ष दाखिल करे। गौरतलब है कि यह कथित मुठभेड़ एक जुलाई 2010 को आदिलाबाद जिले में ही हुई थी। शीर्ष अदालत ने कहा कि मजिस्ट्रेट को सीबीआई रिपोर्ट की टिप्पणियों या निष्कर्षों से प्रभावित नहीं होना चाहिए और सीआरपीसी की धारा 173 के तहत कानून के अनुरूप आगे बढ़ना चाहिए। सीआरपीसी की धारा 173 जांच के बाद पुलिस अधिकारी द्वारा रिपोर्ट सौंपने से संबंधित है।
शीर्ष अदालत ने यह आदेश विनीता पांडेय की याचिका का निस्तारण करने के दौरान दिया। उन्होंने अपनी याचिका में मुठभेड़ की न्यायिक जांच या एसआईटी से जांच कराने की मांग की थी। उन्होंने यह मांग इस आधार पर की थी कि सीबीआई ने ‘ईमानदारी’ से जांच नहीं की। याचिकाकर्ता की ओर से पेश हुए अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने आरोप लगाया कि सीबीआई अधिकारी केंद्रीय गृह मंत्री पी. चिदंबरम के प्रभाव में थे। गौरतलब है कि सीबीआई ने मुठभेड़ के संबंध में आंध्र प्रदेश पुलिस को क्लीन चिट दी थी।
भूषण ने दावा किया कि यद्यपि तकनीकी तौर पर सीबीआई कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग के नियंत्रण में है लेकिन काडर पर नियंत्रण केंद्रीय गृह मंत्रालय का होता है और इसलिए दबाव डाला जा सकता है और प्रभावित किया जा सकता है।
(एजेंसी)
First Published: Thursday, May 3, 2012, 18:40