Last Updated: Wednesday, February 1, 2012, 04:15
ज़ी न्यूज ब्यूरो/एजेंसीअहमदाबाद : गुजरात हाईकोर्ट ने मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को गुजरात दंगों की जांच कर रहे नानावटी आयोग के सामने पेश होने से छूट दे दी है।
गुजरात के मुख्यमंत्री को राहत देते हुए राज्य के हाईकोर्ट ने आज वह याचिका खारिज कर दी जिसमें वर्ष 2002 में हुए दंगों के सिलसिले में नरेंद्र मोदी से पूछताछ करने के लिए नानावती आयोग को उन्हें (मोदी को) सम्मन जारी करने संबंधी आदेश देने का आग्रह किया गया था।
न्यायमूर्ति अकील कुरैशी और सोनिया गोकानी की एक पीठ ने गैर सरकारी संगठन जनसंघर्ष मोर्चा (जेएसएम) की याचिका को खारिज कर दिया। पीठ ने कहा कि गवाहों को बुलाने के लिए आयोग के पास व्यापक विवेकाधीन अधिकार हैं। अदालत ने आगे कहा कि जेएसएम के, मोदी को तलब करने के लिए आदेश देने की मांग कर रहे आवेदन में उसे कोई खास बात नहीं मिली।
कुछ दंगा पीड़ितों का प्रतिनिधित्व कर रहे जेएसएम ने पूर्व में भी मोदी को दंगा मामले में पूछताछ के लिए समन जारी करने की मांग करते हुए न्यायमूर्ति जी टी नानावती और न्यायमूर्ति अक्षय मेहता के आयोग से अनुरोध किया था। लेकिन आयोग ने वह आग्रह खारिज कर दिया था। इसके बाद जेएसएम ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया। नानावती आयोग वर्ष 2002 में हुए दंगा मामलों की जांच कर रहा है। जेएसएम के वकील मुकुल सिन्हा ने अदालत में तर्क दिया कि आयोग को चाहिए कि वह मोदी को समन जारी करे क्योंकि मुख्यमंत्री की भूमिका जांच कर रहे पैनल के दायरे में आती है।
सिन्हा ने कहा कि वर्ष 2005 में घोषित नए संदर्भ की शर्तों (टम्स ऑफ रेफरेन्स) के अनुसार, खुद राज्य सरकार ने मुख्यमंत्री के आचरण की जांच के लिए जांचकर्ता पैनल को छूट दी है। उन्होंने कहा कि दंगों से जुड़े कई सवाल हैं जिनका जवाब मुख्यमंत्री ही दे सकते हैं। सिन्हा ने पूछा अगर जांच या जिरह नहीं हुई तो सच कैसे सामने आएगा? उन्होंने मुख्यमंत्री के स्टाफ के तीन सदस्यों से भी जिरह किए जाने की मांग की। हाईकोर्ट के फैसले पर अपनी प्रतिक्रिया में सिन्हा ने कहा कि वह सुप्रीम कोर्ट की शरण लेंगे।
राज्य सरकार का प्रतिनिधित्व कर रहे महाधिवक्ता कमल त्रिवेदी ने कहा कि कानून के अनुसार, यह अपील सुनवाई योग्य नहीं है क्योंकि आयोग संबंधी अधिनियम किसी तीसरे पक्ष को किसी भी व्यक्ति से पूछताछ की मांग करने की अनुमति नहीं देता। त्रिवेदी के अनुसार, यह निर्णय आयोग को करना है कि पूछताछ के लिए किसे बुलाना चाहिए और किसे नहीं। उन्होंने कहा कि अदालत यह निर्णय आयोग पर छोड़ दे कि मोदी को बुलाना है या नहीं, क्योंकि आयोग अपने अधिनियम के नियमों और प्रक्रियाओं के तहत काम करता है।
First Published: Thursday, February 2, 2012, 11:34