‘नागरिक सर्वोच्चता न्याय संगत हो, वरना विरोध करें’

‘नागरिक सर्वोच्चता न्याय संगत हो, वरना विरोध करें’

‘नागरिक सर्वोच्चता न्याय संगत हो, वरना विरोध करें’
नई दिल्ली : सेना प्रमुख पद से सेवानिवृत्त होने के पांच दिन बाद जनरल वीके सिंह ने सेना की बजाय न्याय और निष्पक्षता से परिपूर्ण नागरिक प्रशासन की सर्वोच्चता में अपना विश्वास व्यक्त करते हुए मंगलवार को कहा कि इसके किसी भी तरह के उल्लंघन को ‘रोका जाना चाहिए।’

जनरल सिंह ने कहा कि नागरिक सर्वोच्चता हमेशा ही न्याय, योग्यता और निष्पक्षता पर आधारित होनी चाहिए और यदि हमें सशस्त्र बलों की संस्थागत अखंडता की रक्षा करनी है तो इसके किसी भी तरह के उल्लंघन को रोका जाना चाहिए।

सशस्त्र बलों में वरिष्ठों के आदेशों का पालन करने की प्रवृत्ति का जिक्र करते हुए पूर्व सेनाध्यक्ष ने कहा कि यह है सही आदेश का पालन करना, यदि आदेश गलत है, उसके खिलाफ खड़े हों और कहें कि आदेश गलत है। उन्होंने 31 मई को सेवानिवृत्त होने के बाद दिये अपने पहले साक्षात्कार में स्वीदकार किया कि उनके कार्यकाल के आखिरी कुछ महीने विवादों से भरे होने के साथ ही ‘घटनापूर्ण’ थे।

जनरल सिंह ने कहा कि लेकिन सभी विवाद ‘गढ़े’ हुए थे और इसमें सभी तरह के आरोप थे, जिसमें निहित तख्ता पलट से लेकर साम्प्रदायिक निर्थक बातें तक शामिल हैं। जनरल सिंह ने इस संबंध में मीडिया की दो खबरों का उल्लेख किया। इसमें से एक का इशारा सेना की एक टुकड़ी के दिल्ली की ओर कूच करने के चलते निहित तख्तापलट की ओर था और दूसरी प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को लिखे उनके उस पत्र के बारे में थी जो कि लीक हो गया था और जिसमें उन्होंने रक्षा तैयारियों की कमी के बारे में शिकायत की थी। उन्होंने कहा कि मेरे 26 माह के कार्यकाल में तख्तापलट वाली खबर सबसे अधिक बेतुकी बात थी। उन्होंने कहा कि सेना में ‘अनधिकृत सैन्य कूच’ जैसी कोई बात नहीं थी।

उन्होंने कहा कि पत्र लीक ‘प्रेरित था और उसका उद्देश्य मेरी साख घटाना था, अब यह काफी स्पष्ट है।’ जनरल सिंह ने कहा कि पत्र लीक मामले की जांच में ‘कुछ भी छुपाया नहीं जाना चाहिए’ तथा इसके पीछे जो भी व्यक्ति है उसके खिलाफ ‘कार्रवाई’ होनी चाहिए क्योंकि यह राजद्रोह जैसा है। यह पूछे जाने पर कि सेना प्रमुख के रूप में कार्यकाल के दौरान वह जिस तरह से मुद्दों से निपटे उसे लेकर उन्हें किसी तरह का खेद है, सिंह ने कहा, ‘किसी भी मामले में नहीं।

उन्होंने जोर देकर कहा कि कोई भी खेद नहीं है, कोई खेद नहीं, कोई विद्वेष, किसी भी तरह की निराशा नहीं। आपको चीजों से उसी तरह से निपटना होता है, जिस तरह वे सामने आती हैं। मैंने अपना काम पूरी ईमानदारी से किया है जैसे मैं कर सकता था। मैं अपने कार्यकाल पर फैसला नहीं दे सकता। हालांकि व्यक्ति के रूप मैं तनावमुक्त हूं। (एजेंसी)

First Published: Tuesday, June 5, 2012, 17:38

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