निषेधाज्ञा पर दिल्ली पुलिस से जवाब तलब

निषेधाज्ञा पर दिल्ली पुलिस से जवाब तलब

नई दिल्ली : दिल्ली की एक अदालत ने दिल्ली पुलिस से उन परिस्थितियों को स्पष्ट करने को कहा जिसने उसे निषेधाज्ञा लगाने को मजबूर किया जिसका अरविंद केजरीवाल और आम आदमी पार्टी के सदस्यों ने पिछले साल अपने प्रदर्शन के दौरान उल्लंघन किया था। साथ ही अदालत ने उनके खिलाफ तीन मामलों की आगे जांच करने को कहा।

योग गुरु बाबा रामेदव के समर्थकों पर रामलीला मैदान में मध्य रात्रि में की गई कार्रवाई की आलोचना करने वाले उच्चतम न्यायालय के फैसले का उल्लेख करते हुए अदालत ने कहा कि यह मुद्दा कानून व्यवस्था बरकरार रखने की राज्य की जिम्मेदारी और नागरिकों के भारत के भीतर मुक्त आवाजाही और सरकार के खिलाफ प्रदर्शन करके अभिव्यक्त करने के उनके अधिकारों से संबंधित है। अदालत ने पुलिस से दो महीने के भीतर रिपोर्ट दायर करने को कहा।

मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट जय थरेजा ने अपने पांच पन्नों के आदेश में कहा, ‘मेरी राय में उपरोक्त फैसले और आदेश में जो राय व्यक्त की गई है वह राज्य के लिए उन परिस्थितियों को स्पष्ट करना अनिवार्य बनाता है जिसके तहत एसीपी भूप सिंह ने सीआरपीसी की धारा 144 के तहत 6 अगस्त 2012 को आदेश पारित किया था और इस बात का खुलासा करें कि यह आदेश बार-बार दिए गए आदेशों का एक हिस्सा था।’ अदालत ने पिछले साल कोयला खदानों के आवंटन के मुद्दे पर केजरीवाल और उनके साथियों के प्रदर्शन के मामले में पुलिस को आगे जांच करने का निर्देश दिया और मामले की अगली सुनवाई की तारीख 26 जून निर्धारित कर दी।

पिछले साल 26 अगस्त को जंतर मंतर पर प्रदर्शन कर रहे केजरीवाल और उनके समर्थकों ने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, संप्रग अध्यक्ष सोनिया गांधी और तत्कालीन भाजपा अध्यक्ष नितिन गडकरी के आवास की ओर मार्च कर निषेधाज्ञा का कथित तौर पर उल्लंघन किया था। केजरीवाल समेत 26 लोगों के खिलाफ तीन अलग-अलग प्राथमिकियां दर्ज की गई हैं। ये प्राथमिकियां दंगा फैलाने और प्रदर्शन के दौरान गैर कानूनी रूप से जमा होने समेत विभिन्न अपराधों के लिए दर्ज की गई हैं।

मजिस्ट्रेट ने कहा कि कोई भी आदेश देने से पहले ‘इस अदालत के लिए यह महत्वपूर्ण है कि उसके पास धारा 144 के तहत दिए गए आदेश के संबंध में सारी सूचनाएं हों।’ उसने कहा कि मौजूदा मामले में उचित फैसले के लिए इस बात का निर्धारण महत्वपूर्ण है कि वह आदेश वैध था या अवैध क्योंकि हाल में उच्चतम न्यायालय और दिल्ली उच्च न्यायालय ने नई दिल्ली जिले में दिल्ली पुलिस द्वारा दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 144 के तहत शक्तियों के दुरुपयोग की आलोचना की है।

अदालत ने तुगलक रोड थाना के प्रभारी से कहा कि वह छह अगस्त 2012 को सीआरपीसी की धारा 144 लागू करने के संबंध में एसीपी भूप सिंह द्वारा दिए गए आदेश के ब्योरे में उल्लिखित परिस्थितियों की जांच करे। अदालत ने थाना प्रभारी से पूरी घटना का वीडियो फुटेज हासिल करने को कहा। अदालत ने कहा, ‘एसएचओ को टीवी चैनलों के संवाददाताओं द्वारा रिकॉर्ड की गई वीडियोग्राफी को हासिल करने का प्रयास करना चाहिए जो पत्रकार 26 अगस्त 2012 को आरोपी नागरिकों का पीछा कर रहे थे।’ (एजेंसी)

First Published: Saturday, March 30, 2013, 21:36

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