Last Updated: Monday, June 25, 2012, 22:38

लंदन: नौसेना अध्यक्ष एडमिरल निर्मल वर्मा ने सोमवार को कहा कि नौसेना जवाबी परमाणु हमले की क्षमता हासिल करने के लिये तैयार है और भारत के पास जल्द ही विश्वसनीय और सुरक्षित परमाणु रोधी त्रयी मौजूद होगा ।
एडमिरल वर्मा ने कहा कि भारत की ‘पहले प्रयोग नहीं करने की नीति’ को देखते हुये इस तरह की एक परमाणु त्रयी (जवाबी कार्रवाई के लिये जमीन, हवा और समुद्र आधारित हथियार प्रणाली) जरूरी है ।
भारत के नौवहन सुरक्षा विश्लेषण करते हुये एडमिरल वर्मा ने रायल नेवी के एक कार्यक्रम में कहा कि भारत में इस बात की समझ बढ़ रही है कि देश की नियति घनिष्ठ रूप से हमारे नौवहन नियति से जुड़ी हुई है ।
उन्होंने कहा, ‘‘विश्वसनीय और सुरक्षित जवाबी कार्रवाई क्षमता अत्यावश्यक है । नौसेना इस त्रयी को पूरा करने जा रही है और इसके बाद हमारे नौवहन और परमाणु सिद्धांत को एक साथ लायेंगे ताकि हमारा परमाणु बीमा समुद्र से आये।’ उल्लेखनीय है कि भारत जमीनी, हवाई और समुद्र आधारित हथियार प्रणाली विकसित कर रहा है ताकि हमला होने की सूरत में जवाबी कार्रवाई की जा सके । ऐसा माना जाता है कि भारत के पास पहले से ही जमीन और हवाई रास्ते से जवाबी कार्रवाई करने की क्षमता है ।
भारत के पास यह क्षमता घरेलू स्तर पर बनाये जा रहे आईएनएस अरिहंत परमाणु पनडुब्बी के नौसेना में शामिल होने के साथ ही आ जायेगी जिसका आने वाले समय में समुद्री परीक्षण शुरू होने वाला है । एडमिरल वर्मा ने माना कि एशियाई देश विभिन्न आर्थिक माडलों के आधार पर विभिन्न दरों पर विकास कर रहे हैं और इस बात पर चिंता जताई कि इससे सेना का तेजी से विस्तार होगा, अंतरराष्ट्रीय कानून के मानकों का पालन नहीं होगा और सैन्य बल के इस्तेमाल या धमकी का खतरा बढ़ जाता है ।
उन्होंने कहा, ‘विश्व की चार सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में तीन एशिया से होगी । इसी क्षेत्र से कई ऐसे देश भी होंगे जो ‘बुरी मंशा वाल’ या ‘विफल राज्य’ माने जायेंगे ।’ (एजेंसी)
First Published: Monday, June 25, 2012, 22:38