परदे के पीछे नहीं, सामने हो लॉबिंग: पायलट

परदे के पीछे नहीं, सामने हो लॉबिंग: पायलट

न्यूयार्क : कंपनी मामलों के मंत्री सचिन पायलट ने भारत में औद्योगिक समूहों की लाबिंग को सुस्पष्ट रूप से परिभाषित करने की आवश्यकता पर बल दिया है ताकि इस कार्य की कानूनी सीमा तय हो सके। इसके साथ ही पायलट ने कहा कि लॉबिंग करने वालों को नीति-निर्माताओं के सामने अपनी राय सार्वजनिक तौर पर पेश करनी चाहिए न कि बंद दरवाजे के पीछे।

उन्होंने कहा कि भारत में बड़ी संख्या में विदेशी कंपनियांे के आगमन को देखते हुए कारपोरेट लॉबिंग को स्पष्ट तरीके से परिभाषित किया जाना चाहिए। एक साक्षात्कार में 35 वर्षीय पायलट ने कहा कि किसी चीज की वकालत करना, बोलना या सूचना देना बहुत हद तक लोकतंत्र का हिस्सा है। इसके साथ ही उन्‍होंने कहा कि लॉबिंग में क्या सही है, क्या गलत है इसे स्पष्ट रूप में परिभाषित किया जाना चाहिए।

उन्होंने कहा कि भारत में लॉबिंग को नकारात्मक शब्द माना जाता है। यदि आप कुछ ऐसा कर रहे हैं जिससे नीति निर्माताओं को बेहतर जानकारी मिल सकती है, तो यह काम सार्वजनिक तौर पर किया जाना चाहिए, बंद दरवाजे में नहीं। भारत में परिचालन करने वाली या वहां प्रवेश की इच्छुक अमेरिकी कंपनियों की लॉबिंग की गतिविधियां मुद्दा संसद के अंदर और बाहर बहस का मुद्दा बना हुआ है। (एजेंसी)

First Published: Monday, June 17, 2013, 22:43

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