Last Updated: Sunday, February 17, 2013, 13:03
नई दिल्ली : 26/11 के मुंबई आतंकवादी हमले में चार गवाहों से जिरह के लिए पाकिस्तानी न्यायिक आयोग की दूसरी बार भारत यात्रा के कार्यक्रम पर अनिश्चितता बनी हुई है क्योंकि इस्लामाबाद ने यात्रा की तारीख तय नहीं की है।
सूत्रों के अनुसार इस्लामाबाद ने आयोग की यात्रा में देरी के पीछे कोई वजह नहीं बताई है लेकिन लश्कर-ए-तैयबा आतंकवादी अजमल कसाब को फांसी देने और नियंत्रण रेखा पर हाल ही में सीमा पर एक भारतीय सैनिक की शहादत के बाद तनाव जैसे मुद्दे इसके कारणों में शुमार माने जा रहे हैं।
गृह मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘‘हमने पाकिस्तानी न्यायिक आयोग की मेजबानी करने के बारे में अपनी आकांक्षा काफी समय पहले ही पाकिस्तान को जता दी थी। लेकिन उनकी ओर से अभी तक इस बारे में जानकारी नहीं है कि आयोग कब आएगा।’’ दूसरे पाकिस्तानी न्यायिक आयोग की मुंबई यात्रा पर सहमति इस्लामाबाद में 25 दिसंबर, 2012 को बनी थी। इससे पहले पाकिस्तान गये चार सदस्यीय भारतीय शिष्टमंडल और पाकिस्तानी अधिकारियों के बीच जटिल तकनीकी और कानूनी मुद्दों पर अनेक दौर की बातचीत हुई थी। गृह मंत्रालय ने पाकिस्तानी आयोग की यात्रा के लिए और मुंबई हमलों के मामले में चार गवाहों से उनकी जिरह के लिए बंबई उच्च न्यायालय की भी मंजूरी प्राप्त की।
गवाहों में कसाब का इकबालिया बयान दर्ज करने वालीं मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट रमा विजय सावंत.वाघुले, मुख्य जांच अधिकारी रमेश महाले और नायर तथा जेजे अस्पतालों के दो डॉक्टर हैं जिन्होंने हमले के दौरान मारे गये नौ आतंकवादियों की ऑटोप्सी की थी। रावलपिंडी की अदालत में 26.11 के मामले में चल रहे मुकदमे को तार्किक परिणति तक पहुंचाने के लिए चार गवाहों से जिरह जरूरी है।
लश्कर-ए-तैयबा के कमांडर जाकीउर रहमान लखवी समेत सात आतंकवादियों पर मुंबई में 26 नवंबर, 2008 को आतंकवादी हमलों की साजिश रचने, उनके लिए धन जुटाने और हमलों को अंजाम देने का आरोप है। हमलों में 166 निर्दोष लोग मारे गये थे।
भारतीय दल को पाकिस्तान की यात्रा के दौरान वहां के अधिकारियों की तरफ से आश्वासन मिला था कि सात आतंकवादियों पर मुकदमा चला रही आतंकवाद रोधी अदालत दूसरे न्यायिक आयोग के निष्कषोर्ं को सरसरी तौर पर देखकर खारिज नहीं करेगी।
मार्च, 2012 में भारत की यात्रा करने वाले पहले पाकिस्तानी न्यायिक आयोग के नतीजों को पाकिस्तान की आतंकवाद रोधी अदालत ने खारिज कर दिया था। उस समय आयोग के सदस्यों को भारतीय गवाहों से जिरह नहीं करने देने का हवाला दिया गया था।
संभावना है कि इस्लामाबाद अपने न्यायिक आयोग की भारत यात्रा और चारों गवाहों से जिरह के बाद भारतीय न्यायिक आयोग की पाकिस्तान यात्रा के दौरान उन्हें पाकिस्तानी संदिग्धों से पूछताछ का मौका दे सकता है।
लाहौर उच्च न्यायालय ने आतंकवाद रोधी अदालत द्वारा कसाब के इकबालिया बयान का इस्तेमाल करने पर रोक लगा दी है वहीं बचाव पक्ष के वकीलों की दलील है कि मौजूदा पाकिस्तानी कानून किसी अन्य देश के गवाहों को वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये गवाही की इजाजत नहीं देते। (एजेंसी)
First Published: Sunday, February 17, 2013, 13:03