Last Updated: Friday, January 11, 2013, 15:04

भोपाल : पाकिस्तानी सेना की बर्बरता के शिकार हुए शहीद लांसनायक सुधाकर सिंह के पिता सच्चिदानंद सिंह का कहना है कि पाकिस्तानी सेना को उसकी कायराना हरकत के लिये भारत को उसकी की भाषा में जवाब देना चाहिये और यही उनके शहीद पुत्र को सच्ची श्रद्धांजलि होगी।
सच्चिदानंद सिंह ने सीधी में अपने शहीद पु़त्र के अंतिम संस्कार के बाद कहा कि हमारी इच्छा है कि दुश्मन का डटकर मुकाबला करके उसको उसी की भाषा में जवाब देना चाहिए। सिंह ने चार बच्चों में अपने सबसे छोटे पुत्र सुधाकर को परिवार का सहारा बताते हुए कहा कि उसे 15-16 फरवरी को गांव आना था लेकिन अब तो हर चीज समाप्त हो गई है। उन्होंने कहा कि सुधाकर ने सात अप्रैल 2002 को राष्ट्र की सेवा का सपना लेकर सेना की नौकरी शुरु की थी। सुधाकर के परिवार में उसकी पत्नी और पांच माह का पुत्र भास्कर है।
सुधाकर के चचेरे भाई प्रेम सिंह ने बताया कि सुधाकर के ससुर भी सेना में पूर्व सैनिक रहे हैं और अपने दामाद को खोने के बाद भी वे चाहते हैं कि उनका छोटा नाती सेना में शामिल होकर देश की सेवा करे। यह पूछे जाने पर कि क्या वे केन्द्र सरकार द्वारा इस मामले में की गयी कार्रवाई से संतुष्ट हैं, सिंह ने कहा कि भारत सरकार अपना काम कर रही है, लेकिन जिस तरह दुश्मन ने कार्रवाई की है तो हमें भी चुप नहीं बैठना चाहिये और आंख के बदले आंख की तर्ज पर कार्रवाई करनी चाहिए। शहीद सुधाकर के पिता के विचारों का समर्थन करते हुए प्रो.कैलाश त्यागी ने कहा कि ज्यादा सुरक्षात्मक रवैये से कायरता आती है। प्रो. त्यागी पूर्व थल सेना अध्यक्ष जनरल वी.के सिंह के पी.एचडी के गाइड रह चुके हैं।
प्रो. त्यागी ने कहा कि आखिर कब तक इस प्रकार के गंभीर मुद्दों पर हम सुरक्षात्मक रहेंगे। ऐसा करने से हमारी सेना के जवानों के मनोबल पर विपरीत असर पड़ता है। अलकायदा के आतंकवादी ओसामा बिन लादेन से निपटने के लिये अमेरिका के तरीके की प्रशंसा करते हुए प्रो. त्यागी ने कहा कि इस प्रकार की स्थिति से निपटने के लिये राजनीतिक इच्छा शक्ति की आवश्यकता है। महू के एक सेवानिवृत्त मेजर जनरल ने नाम नहीं छापने की शर्त पर कहा कि इस सरकार से आप कोई अपेक्षा नहीं कर सकते। उन्होंने कहा कि सेना अपने स्तर पर स्वयं इस स्थिति से निपट सकती है। (एजेंसी)
First Published: Friday, January 11, 2013, 15:04