पीएम ने तोड़ी चुप्पी, बढ़ती असहिष्णुता पर जताई चिंता

पीएम ने तोड़ी चुप्पी, बढ़ती असहिष्णुता पर जताई चिंता

पीएम ने तोड़ी चुप्पी, बढ़ती असहिष्णुता पर जताई चिंताकोलकाता : प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने बहुत दिनों के बाद चुप्पीप तोड़ते हुए भिन्न मत रखने वाले लोगों के बीच बढ़ती असहिष्णुता पर शनिवार को चिंता जताते हुए तर्कसंगत संवाद का समर्थन किया। उन्होंने कहा ऐसा नहीं होने से संकीर्ण मानसिकता रचनात्मक प्रवृत्ति को प्रभावित कर सकती है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि लोग भिन्न मत होने की स्थिति में तर्कसंगत संवाद में शामिल होने की क्षमता खो रहे हैं। उन्होंने कहा कि सार्वजनिक बहस कई बार सनसनी की भेंट चढ़ जाती है। मुझे कभी कभी इस बात का भय लगता है कि संकीर्ण मानसिकता की बढ़ती संस्कृति से देश के युवाओं की रचनात्मक, अभिनव और कल्पनाशील प्रवृत्ति प्रभावित हो सकती है।

उन्होंने कहा कि मुझे लगता है कि भिन्न मत रखने वाले लोगों के बीच बढ़ती असहिष्णुता हमारी धर्मपरायणता के खिलाफ है। सिंह ने कहा कि भारतीय स5यता में सामाजिक सद्भाव को संरक्षित रखने और अलग अलग विचार, पहचान और सांस्कृतिक मतभेदों को समाहित करके सुलह को बढ़ावा देने की समृद्ध परंपरा है।

भारतीय विज्ञान कांग्रेस संगठन (आईएससीए) के अध्यक्ष के तौर पर मनमोहन ने कहा कि अगले वर्ष कांग्रेस का विषय ‘साइंस फॉर शेपिंग फ्यूचर ऑफ इंडिया’ होगा। सिंह ने कहा कि यह विषय सौ वर्ष पहले भी उतना ही उपयुक्त होता जब संगठन बना था। कलकत्ता यूनिवर्सिटी में हुए एक समारोह में उन्होंने कहा कि भारतीय कांग्रेस को सरकार की तरफ से पूरा समर्थन एवं प्रतिबद्धता है।

उन्होंने कहा कि हमारी समस्याएं काफी हैं और इसके वैज्ञानिक समाधान की जरूरत है। कि प्रधानमंत्री ने कहा कि विकास के नए रास्ते तलाशने के लिए हमें अपने प्रचुर बौद्धिक संसाधनों का प्रयोग करना होगा जिससे हमारे दुर्लभ संसाधनों का उचित उपयोग हो सके।

प्रधानमंत्री ने कहा कि विकास की प्रक्रिया में हमने अपने विज्ञान और तकनीक का उतना प्रयोग नहीं किया जितना हमें करना चाहिए था। (एजेंसी)

First Published: Saturday, June 2, 2012, 20:52

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