Last Updated: Thursday, May 23, 2013, 20:43

गुड़गांव : प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने देश की रणनीतिक सोच में बदलाव तथा उच्चतर रक्षा संगठनों की समीक्षा पर जोर देते हुए गुरुवार को कहा कि उनकी सरकार रक्षा सौदों में ईमानदारी व पारदर्शिता का अनुपालन करती है और इसे आगे भी बरकरार रखा जाएगा।
उन्होंने यह भी कहा कि भारत हालांकि इस वक्त कई सुरक्षा चुनौतियों का सामना कर रहा है, लेकिन वह क्षेत्र में और इसके बाहर भी सुरक्षा मुहैया कराने में सक्षम है। गुड़गांव के बिनोला में इंडियन नेशनल डिफेंस यूनिवर्सिटी (इंदु) की आधारशिला रखने के बाद यहां उपस्थित लोगों को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि देश आज कई सुरक्षा चुनौतियों का सामना कर रहा है। इनमें से ज्यादातर चुनौतियां पड़ोसी देशों से मिल रही हैं। इसके अलावा विभिन्न देशों में अस्थिरता, आंतरिक संघर्ष, हथियारों का प्रसार और आतंकवादी गिरोहों की सक्रियता के कारण भी हम कई सुरक्षा चुनौतियों का सामना कर रहे हैं। इनका सामना देश की रणनीतिक सोच में बदलाव और उच्चतर रक्षा संगठनों की समीक्षा करके ही किया जा सकता है।
उन्होंने कहा कि यह आवश्यक है कि देश के रक्षा विशेषज्ञ उस जटिल वातावरण के प्रति सचेत रहें, जिसका सामना हम कर रहे हैं। प्रधानमंत्री ने कहा कि देश ने प्रौद्योगिकी, पूंजी तथा साझेदारी के क्षेत्र में अभूतपूर्व प्रगति की है। प्रौद्योगिकी के विकास ने रक्षा क्षमताओं में भी बदलाव किए हैं। पिछले नौ साल में देश की रक्षा क्षमताएं अधिक मजबूत हुई हैं। साइबर अपराध की चुनौतियों से निपटने की हमारी क्षमता भी मजबूत हुई है।
उन्होंने कहा कि आज हम बेहतर स्थिति में हैं और क्षेत्र के साथ-साथ बाहर भी सुरक्षा मुहैया कराने में सक्षम हैं। मनमोहन सिंह ने कहा कि रक्षा विश्वविद्यालय राष्ट्रीय महत्व का अद्वितीय स्वायत्त संस्थान होगा। इसका उद्देश्य देश, सरकार तथा सशस्त्र बलों को श्रेष्ठ सैन्य परामर्श देना है। रक्षा खरीद में पूर्ण पारदर्शिता और ईमानदारी के अनुपालन पर जोर देते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि समुचित रक्षा तैयारी ठोस रक्षा अधिग्रहण नीतियों पर आधारित है।
रक्षा खरीद के स्वदेशीकरण पर जोर देते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि सरकार निजी क्षेत्र के साथ-साथ घरेलू रक्षा उद्योग के विकास को बढ़ावा देने के लिए भी प्रतिबद्ध है। उन्होंने कहा कि रक्षा खरीद का स्वदेशीकरण न केवल हमारी सुरक्षा को बढ़ाने में महत्वपूर्ण है, बल्कि यह औद्योगिक विकास एवं देश की आर्थिक प्रगति के लिए भी आवश्यक है।
वहीं, रक्षा मंत्री ए.के. एंटनी ने अपने संबोधन में कहा कि रक्षा विश्वविद्यलय वर्ष 2018-19 में तैयार हो जाएगा और यह सुरक्षा क्षमताओं में वृद्धि करेगा। इस मौके पर वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल एके ब्राउन भी मौजूद थे। वह फिलहाल चीफ्स ऑफ स्टाफ कमेटी के अध्यक्ष हैं। समारोह में केंद्रीय मंत्री सलमान खुर्शीद, कुमारी शैलजा, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार शिवशंकर मेनन, सेना प्रमुख जनरल बिक्रम सिंह, नौसेना प्रमुख डी. के. जोशी, हरियाणा के राज्यपाल जगन्नाथ पहाड़िया तथा मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा भी मौजूद थे।
विश्वविद्यालय का एक अध्यक्ष होगा, जो सेवारत तीन स्टार वाला जनरल या अन्य दो रक्षा सेवाओं का समानांतर अधिकारी होगा। इसमें 66 प्रतिशत छात्र रक्षा क्षेत्रों से होंगे, जबकि 33 प्रतिशत छात्र आम नागरिकों, पुलिस तथा अन्य सरकारी एजेंसियों से होंगे। (एजेंसी)
First Published: Thursday, May 23, 2013, 12:42