Last Updated: Saturday, November 5, 2011, 17:08
कोलकाता : पेट्रोल के दाम में वृद्धि के मुद्दे पर संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार से समर्थन वापस लेने तृणमूल कांग्रेस की धमकी को वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी ने यह कहते हुए अधिक तवज्जो नहीं दी कि पेट्रोल के दाम में वृद्धि जैसे मुद्दों पर चिंता जताना संप्रग के किसी भी घटक दल के लिए पूरी तरह उचित है। मुखर्जी ने इसी के साथ यह भी विश्वास व्यक्त किया कि प्रधानमंत्री से बातचीत के बाद घटक दलों के साथ पेट्रोल के दाम में वृद्धि के मुद्दे का हल कर लिया जाएगा।
मुखर्जी ने कहा, ‘जो भी राजनीतिक दल संप्रग का घटक है, उसके लिए किसी मुद्दे पर चिंता जताना और प्रधानमंत्री के साथ उसपर चर्चा करना बिल्कुल वैध है। उन्होंने भी वही किया है।’ मुखर्जी ने कहा कि वह अपनी कुछ चिंताएं प्रधानमंत्री के समक्ष रखेंगी और मुझे इसमें कुछ गलत नजर नहीं आता। मुखर्जी ने कहा, ‘जब दाम बढ़ाया जाता है और उससे यदि लोग प्रभावित होते हैं तब लोग प्रतिक्रिया व्यक्त करते हैं। वे आर्थिक कारण सुनने को तैयार नहीं होते हैं।’
वित्त मंत्री ने कहा, ‘केवल पेट्रोल का दाम बढ़ाया गया है जो पहले ही नियंत्रणमुक्त कर दिया गया था। नियंत्रणमुक्त आज नहीं किया गया बल्कि पिछले साल 28 जून को ही किया गया था।’ इसी बीच कांग्रेस ने यह कहते हुए पेट्रोल के दाम मे वृद्धि के मुद्दे पर निर्णय करना सरकार पर छोड़ दी कि यह उसके अधिकार क्षेत्र में दखल नहीं देती है और उसने दाम में वृद्धि वापस लेने की मांग करने से इनकार कर दिया।
मुखर्जी ने कहा, ‘तेल कंपनियां सोचती हैं कि उनकी वित्तीय स्थिति ऐसी है कि यदि उनकी वित्तीय सेहत और लड़खड़ाती है तो वे कच्चा तेल भी आयात नहीं कर पाएंगी।’ उन्होंने कहा कि पिछली छमाही में बीपीसीएल और एचपीसीएल का संयुक्त घाटा 12000 करोड़ रुपए का रहा है और आईओसी को भी घाटे होने की आशंका है।
उन्होंने सवालिया लहजे में कहा, ‘यदि तेल कंपनियां घाटे में रहेंगी तो क्या वे बाजार से पूंजी जुटा पाएंगी। क्या वे कच्चा तेल का आयात कर पाएंगी जिसकी (कच्चे तेल) जरूरत है।’ वित्त मंत्री ने कहा कि डीजल के दाम को नियंत्रणुक्त करने का सिद्धांतत: निर्णय किया गया लेकिन फिलहाल यह फैसला किया गया है कि इसे लागू नहीं किया जाएगा।
जब उनसे ईंधन के दामों को नियंत्रणमुक्त करने की दिशा में और बढ़ने संबंधी प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के इस बयान के बारे में पूछा गया तब उन्होंने कहा, ‘प्रधानमंत्री सरकार के प्रमुख हैं और वह जाने-माने अर्थशास्त्री हैं।’ जब मुखर्जी से पूछा गया कि क्या वह राज्यों को पेट्रोलियम पदार्थों पर कर घटाने की सलाह देंगे, उन्होंने तपाक से कहा, ‘इस पर टिप्पणी करना खतरनाक है। आप जैसे उनसे कहेंगे कि कर मत लगाइए, वे (राज्य) कहेंगे कि धन कहां से आएगा। पेट्रोल के संबंध में, मैं राज्यों को कोई सलाह नहीं देना चाहता।’
(एजेंसी)
First Published: Sunday, November 6, 2011, 14:00