Last Updated: Wednesday, May 29, 2013, 18:05

मुम्बई : उपराष्ट्रपति मोहम्मद हामिद अंसारी ने बुधवार को मुस्लिम समुदाय से बदल रहे समय के साथ चलने तथा अपने सामाजिक एवं आर्थिक पिछड़ेपन से निजात पाने के लिए आधुनिक शिक्षा को अपनाने का आग्रह किया।
अंसारी ने यहां मौलाना आजाद विचार मंच द्वारा आयोजित दो दिवसीय मुस्लिम शिक्षा सम्मेलन का उद्घाटन किया और कहा, `मुस्लिम समुदाय के सामने शिक्षा सबसे महत्वपूर्ण सामाजिक-आर्थिक चुनौती है। उनकी (मुस्लिम समुदाय) तरक्की, समृद्धि एवं सशक्तिकरण में शिक्षा की कमी ही सबसे बड़ी बाधा है।`
उन्होंने कहा, `इस्लाम में शिक्षा और सीखने की प्रक्रिया को अधिक महत्व दिए जाने के बावजूद भारत में कई मुस्लिम समुदायों ने लम्बे समय तक शिक्षा की आवश्यकता को नजरअंदाज किया और इस तरह उन्होंने ज्ञान की अवहेलना की।`
अंसारी ने एक विद्वान का उद्धरण देते हुए कहा, `इस्लाम का आधुनिक इतिहास इसके आंतरिक पतन, बाहरी हस्तक्षेप व बुराई के साथ शुरू होता है। ज्ञान की खोज का स्थान खंडन-मंडन ने ले लिया। शिक्षा की कमी के कारण बेरोजगारी बढ़ी है, बड़े पैमाने पर अर्धरोजगार में वृद्धि हुई है, पारम्परिक और कम आय वाले पेशों में सिमट कर रह गए हैं और आधुनिक संगठित कारोबारी क्षेत्र में प्रतिनिधित्व घटा है।`
मुस्लिम समुदाय में शैक्षिक पिछड़ेपन के बारे में हालांकि पहले भी पता था, लेकिन रंगनाथ मिश्रा और सच्चर समिति की रपटों के जरिए आधिकारिक आकड़ों के साथ जमीनी सच्चाई सामने आई है। इन रपटों के अनुसार मुस्लिम समुदाय में साक्षरता का प्रतिशत 2001 में 64.8 के राष्ट्रीय औसत के मुकाबले 59.1 रहा है। शहरी क्षेत्रों में यह अंतर अधिक है।
अंसारी ने कहा कि देश के सबसे बड़े अल्पसंख्यक समुदाय की देश के विकास में भागीदारी के बिना तथा मुख्यधारा में पूरी तरह शामिल हुए बिना भारत एक आधुनिक, विकसित देश के रूप में स्थापित नहीं हो सकता। (एजेंसी)
First Published: Wednesday, May 29, 2013, 18:05