प्रणब ने टीम अन्ना के आरोपों को किया खारिज

प्रणब ने टीम अन्ना के आरोपों को किया खारिज

प्रणब ने टीम अन्ना के आरोपों को किया खारिज
नई दिल्ली : टीम अन्ना पर पलटवार करते हुए वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी ने अपने खिलाफ लगाए गए उनके भ्रष्टाचार के आरोपों को अनुचित और स्वार्थी कहकर खारिज कर दिया और कहा कि यह उन लोगों में जिम्मेदारी का अभाव दिखाता है जो नैतिक व्यवहार में उच्च मानकों का प्रतिनिधित्व करने का दावा करते हैं।

टीम अन्ना ने मुखर्जी के खिलाफ जांच की मांग की थी। मुखर्जी ने कहा कि उनके खिलाफ ‘गलत’ आरोप निहित स्वार्थ और दुर्भावना के चलते लगाये जा रहे हैं और उनमें तथ्यों को छिपाया गया है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता ने हजारे और उनके सहयोगियों को याद दिलाया कि उन्होंने इस प्रकार के आरोपों को लगाकर उस नैतिकता को ताक पर रख दिया जिसका वह दावा करते हैं।

प्रणब मुखर्जी द्वारा हजारे, अरविन्द केजरीवाल, शांतिभूषण, प्रशांत भूषण, किरण बेदी और मनीष सिसौदिया को संबोधित पत्र में कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि नैतिक व्यवहार के उच्च मानकों का प्रतिनिधित्व का दावा करने वाले इंडिया एगेन्स्ट करप्शन ने अपने नैतिक आधार को त्याग दिया है। वित्त मंत्री ने टीम अन्ना द्वारा प्रधानमंत्री को लिखे गये पत्र के जवाब में यह बात कही। इस पत्र में टीम अन्ना ने अपने आरोप दोहराये हैं।

मुखर्जी ने कहा कि उनके खिलाफ लगाये गये आरोप गलत, अनुचित, खुद से मांग करने वाले, प्रेरित, दुर्भावनापूर्ण और निहित स्वार्थ से लगाये गये तथा उनमें किसी प्रकार की जिम्मेदारी का अभाव है। प्रणब मुखर्जी के पत्र में कहा गया कि अन्ना हजारे और उनकी टीम द्वारा लगाए गए आरोपों में तथ्यों को गंभीर रूप से छिपाया गया है क्योंकि इसमें लंबित मुकदमेबाजी का न तो हवाला दिया गया है और न ही चर्चा की गई है। तथ्यों को छिपाया जाना, अपने आप में दिखाता है कि उठाये जा रहे मुद्दे पूरी तरह गलत हैं। पत्र में कहा गया कि यह अनैतिक बात है कि टीम अन्ना ने जिन आरोपों की जांच की मांग की है वह जनहित याचिका के मुख्य अनुरोध हैं। इन आरोपों में उच्च न्यायालय द्वारा दिये गये विभिन्न आदेशों का कोई उल्लेख नहीं है।

टीम अन्ना के सदस्य प्रशांत भूषण पर हमला करते हुए पत्र में कहा गया कि वह जनहित याचिका में वकील हैं। वह अब एक गैर न्यायिक मंच पर उस चीज का विरोध करना चाहते हैं जिसे संवैधानिक प्रक्रिया के जरिये वह हासिल नहीं कर सके। मुखर्जी ने विशेष तौर पर स्कार्पीन सौदे और नौसेना युद्धकक्ष से सूचना लीक किये जाने के मामले में लगाये गये आरोपों का उल्लेख किया और उन्हें पूरी तरह गलत एवं दुर्भावनापूर्ण बताया।

पत्र में कहा कि स्कार्पीन परियोजना में बिचौलिये के बारे में किसी भी तरह का कोई सबूत नहीं है तथा ऐसा कोई साक्ष्य नहीं है जो इस परियोजना के तार को युद्ध कक्ष से सूचना के लीक होने के मामले को जोड़ता हो। इसमें आरोपों की आगे की जांच की कोई जरूरत नहीं है। इस तरह की जांच से नौसेना में महत्वपूर्ण उपकरणों को शामिल किये जाने में विलंब ही होगा। नौसेना पहले से ही पनडुब्बियों का अभाव झेल रही है। मुखर्जी ने कहा कि सरकार ने जनहित याचिका का प्रतिवाद किया है और याचिकाकर्ता की मंशा पर सवाल उठाये हैं।

उन्होंने ध्यान दिलाया कि एक साप्ताहिक में आई दो खबरों में भारी ‘चूक थी और गलत अनुमान’ थे। इन खबरों में युद्धकक्ष मामले को स्कार्पीन पनडुब्बी की खरीद से जोड़ा गया है। उन्होंने कहा कि युद्ध कक्ष लीक मामले में पेन ड्राइव की बरामदगी से उसका स्कार्पीन सौदे से कोई संबंध होने की बात का खुलासा नहीं होता। युद्ध कक्ष लीक मामला अदालत में विचाराधीन है। पत्र में यह भी कहा गया कि यह बात स्थापित हो चुकी है कि जेन पाल पेरियर के अभिषेक वर्मा के बीच कथित ईमेल एवं अन्य संवाद तथा वर्मा की कंपनी थेल्स के फैक्स मनगढ़ंत और गलत पाए गए। (एजेंसी)

First Published: Monday, June 18, 2012, 22:57

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