Last Updated: Thursday, April 25, 2013, 20:20

पुरी : पारंपरिक बंगाली ‘भद्रलोक’ के रूप में राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने गुरुवार को यहां श्लोकों और मंत्रोच्चार के बीच श्रीमंदिर में भगवान जगन्नाथ के दर्शन किए। बारहवीं सदी के इस मंदिर के सिंहद्वार पर राज्य सरकार के अधिकारियों के अलावा गजपति महाराज दिव्यसिंह देव तथा अन्य पुरोहितों ने अगवानी की।
मुखर्जी के पारिवारिक पुरोहित मधुसूदन पूजापांडा, श्यामसुंदर गोचीकार और दामोदर गोचीकार भी उनका स्वागत करने के लिए मौजूद थे। राष्ट्रपति को ‘पटवस्त्र’ भी प्रदान किया गया जो पहले भगवान जगन्नाथ पहनते थे। मुखर्जी का पहले हेलीपैड से सीधे मंदिर जाने का कार्यक्रम था लेकिन उन्होंने मंदिर जाने से पहले सफेद धोती और कुर्ता पहना।
एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि वह मंदिर परिसर में करीब आधे घंटे ठहरे। उन्होंने कुछ समय गर्भगृह में गुजारा। वह मा बिमला और मा लक्ष्मी मंदिर गए। अधिकारी ने बताया कि राष्ट्रपति नंगे पांव मंदिर परिसर में पहुंचे, उन्हें छाया के लिए ताड़ के पत्ते से बना छाता प्रदान किया गया। राष्ट्रपति के सुरक्षा कर्मी बाहर खड़े थे। राष्ट्रपति की यात्रा के मद्देनजर मंदिर में दो घंटे के लिए आम दर्शनार्थियों पर रोक लगा दी गई थी। दर्शन के बाद जब मुखर्जी जाने लगे तब मंदिर प्रशासन ने उन्हें पट्टचित्र प्रदान किया जिस पर भगवान जगन्नाथ के स्वर्णपरिधान की पेटिंग थी।
श्री जगन्नाथ मंदिर प्रशासन के मुख्य प्रशासक अरविंद पाधी ने कहा कि पट्टचित्र ओड़िशा की समृद्ध कला की पारंपरिक पेंटिंग है। हमने राष्ट्रपति को पट्टचित्र के रूप में भगवान जगन्नाथ के ‘सुनाभेष’ का स्मृतिचिह्न प्रदान किया। वैसे तो मुखर्जी पहले कई बार 12 वीं सदी के इस मंदिर में आ चुके हैं लेकिन यह पहली बार है कि देश के राष्ट्रपति के रूप में उन्होंने यहां दर्शन किए। पाधी ने बताया कि मंदिर में दर्शन करने के बाद मुखर्जी को उनकी इच्छा के अनुसार शाकाहारी भोजन भी कराया गया। (एजेंसी)
First Published: Thursday, April 25, 2013, 20:20