Last Updated: Wednesday, April 18, 2012, 12:23
नई दिल्ली : भारत ने बुधवार को कहा कि उसे परमाणु संगठनों के नियम-कायदों के नाम पर प्रतिबंधों का निशाना नहीं बनाया जा सकता और वह परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह सहित निर्यात नियंत्रण समूहों की पूर्ण सदस्यता का हकदार है।
विदेश सचिव रंजन मथाई ने विश्वास जताया कि भारत इन निर्यात नियंत्रण समूहों की शर्तों पर खरा उतरेगा और इसकी तार्किक परिणति के तौर पर उसे चार बहुपक्षीय समूहों की पूर्ण सदस्यता मिल सकेगी। ये चार संगठन हैं-परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह (एनएसजी), मिसाइल तकनीक नियंत्रण शासन (एमटीसीआर), ऑस्ट्रेलिया समूह और वासेनार समझौता।
उन्होंने कहा कि भारत परमाणु संगठनों के नियम आधारित प्रतिबंधों का निशाना नहीं हो सकता। भारत के साथ साझेदारी की तार्किक परिणति उसका इन चारों बहुपक्षीय समूहों की पूर्ण सदस्यता पाना है। उन्होंने कहा कि इन चारों समूहों के साथ भारत की साझेदारी अप्रसार उद्देश्यों के आधार पर पारस्परिक लाभकारी होगी। विदेश सचिव ने कहा कि इन समूहों के साथ भारत के बढी और टिकाउ भागीदारी का मुख्य उद्देश्य और प्राथमिक लक्ष्य पूर्ण सदस्यता है। उन्होंने कहा कि हम भागीदारी की इस प्रक्रिया को आगे ले जाएंगे और जरूरी तैयारियां और जमीनी आधार पूरा हो जाने पर सदस्यता के लिए आवेदन देंगे।
मथाई विदेश मंत्रालय-आईडीएसए राष्ट्रीय निर्यात नियंत्रण की ओर से आयोजित विचार गोष्ठी को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि वैश्विक उद्योग सहयोग और संपर्क, सर्वोच्च निर्यात नियंत्रण मानकों पर आधारित हस्तांतरण, ठोस वाणिज्यिक विमर्श, उभरते भारतीय उद्योग का योगदान और बेहद कुशल कार्यबल जैसे मकसदों को पूरा करने की भारत में क्षमता है। चारों समूहों के साथ भारत की भागीदारी के प्रयासों पर मथाई ने कहा कि इस साल हम वियना में एसएसजी के साथ एक मार्च को बैठक कर चुके हैं, एमटीसीआर के साथ 30 जनवरी को, वासेनार समझौते के साथ 21 मार्च को बैठक कर चुके हैं और आने वाले सप्ताहों में ऑस्ट्रेलिया समूह के साथ बैठक होनी है। उन्होंने कहा कि हर समूह की अपनी ही सदस्यता अर्हता, नियंत्रण सूची और कार्यपद्धति है।
विदेश सचिव ने कहा कि सभी समूहों के बुनियादी उद्देश्य और सिद्धांत समान हैं, जिसे भारत मानता है और इसने अप्रसार और निर्यात नियंत्रण में अपनी जिम्मेदारी प्रदर्शित की है।
(एजेंसी)
First Published: Wednesday, April 18, 2012, 17:53