Last Updated: Friday, November 16, 2012, 21:32
नई दिल्ली : भारतीय प्रेस परिषद् के अध्यक्ष मार्कंडेय काटजू ने आज कहा कि प्रेस की स्वतंत्रता मनमर्जी अधिकार नहीं है और अगर मीडिया की कार्यप्रणाली पिछड़ेपन की तरफ ले जाती है और ‘लोगों की जीवन शैली को कमतर’ करती है तो प्रेस की स्वतंत्रता को ‘निश्चित तौर पर’ ‘कुचल’ दिया जाना चाहिए।
अपने निर्भीक और विवादास्पद टिप्पणियों के लिए मशहूर उच्चतम न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश ने बॉलीवुड और क्रिकेट को महत्वपूर्ण राष्ट्रीय मुद्दों से ज्यादा तरजीह देने के लिए भी प्रेस की आलोचना की। उन्होंने चैनलों पर ज्योतिष जैसे विषयों के माध्यम से अंधविश्वास और ‘पिछड़े विचारों’ को बढ़ावा देने के लिए भी खबरिया चैनलों की आलोचना की। काटजू ने कहा, ‘प्रेस की स्वतंत्रता मनमर्जी अधिकार नहीं है। पूर्ण अधिकार है लोगों की जिंदगी के स्तर में सुधार करना। अगर प्रेस की स्वतंत्रता से लोगों की जिंदगी का स्तर सुधारने में मदद मिलती है तो यह अच्छी बात है।’
उन्होंने कहा, ‘लेकिन अगर प्रेस की स्वतंत्रता से लोगों की जिंदगी का स्तर कम होता है, लोग और गरीब होते हैं तो हमें निश्चित तौर पर प्रेस की स्वतंत्रता को कुचल देना चाहिए।’ काटजू ने कहा, ‘सचिन तेंदुलकर ने सौवां शतक लगाया, अब देश में दूध और शहद की नदियां बहेंगी। क्रिकेट लोगों का अफीम है। लोगों को क्रिकेट का नशा है। रोमन सम्राट कहते थे कि अगर आप लोगों को रोटी नहीं दे सकते तो उन्हें सर्कस दीजिए।’ (एजेंसी)
First Published: Friday, November 16, 2012, 21:32